Diamond (हीरा) शुद्ध कार्बन का एक ठोस रूप है जिसके परमाणु क्रिस्टल के रूप में व्यवस्थित होते हैं। हीरे में किसी भी प्राकृतिक सामग्री की तुलना में उच्चतम कठोरता और तापीय चालकता होती है। प्राकृतिक हीरों की आयु 1 बिलियन से 3.5 बिलियन वर्ष के बीच होती है। अधिकांश हीरे पृथ्वी में 150 से 250 किलोमीटर की गहराई पर बनते हैं और कुछ तो 800 किलोमीटर की गहराई से भी आते हैं। उच्च दबाव और तापमान के कारण कार्बन युक्त तरल पदार्थ विभिन्न खनिजों को गलाकर हीरे से बदल देते हैं।
दुर्लभ हीरे (rarest diamond) आकार में असाधारण रूप से बड़े, उल्लेखनीय रंग और स्पष्टता के साथ होते हैं। इस लेख में अब तक के शीर्ष दस सबसे महंगे हीरों के बारे में बताया गया है।
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10. मौसैफ रेड डायमंड (The Moussaieff Red Diamond)
5.11 कैरेट (1.022 ग्राम) के मौसैफ रेड डायमंड को पहले रेड शील्ड डायमंड के नाम से जाना जाता था।
यह शानदार त्रिकोणीय कट हीरा दुनिया का सबसे बड़ा दुर्लभ (rarest diamond) लाल हीरा है।
अमेरिका के जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ने इसके रंग को फैंसी रेड (fancy red) नाम दिया है।
इस दुर्लभ हीरे की खोज 1989 में ब्राजील के एक किसान ने की थी।
किसान को मिले इस कच्चे हीरे (diamond) का वजन 13.9 कैरेट (2.78 ग्राम) था।
विलियम गोल्डबर्ग डायमंड कार्पोरेशन ने इस कच्चे हीरे को खरीद कर तराशा और रेड शील्ड नाम दिया।
फिर इसे इजरायल में जन्मे लंदन के ज्वेलरी डीलर श्लोमो मौसैफ ने खरीद लिया।
तब से यह हीरा (diamond) मौसैफ रेड डायमंड कहलाने लगा।
वर्तमान में यह नायाब हीरा मौसैफ ज्वैलर्स लिमिटेड के स्वामित्व में है।
एक अनुमान के अनुसार इस हीरे की कीमत लगभग 8 मिलियन डॉलर है। भारतीय मुद्रा के अनुसार लगभग 60 करोड़ रूपए।
9. हार्ट ऑफ़ एटर्निटी (The Heart of Eternity)
दिल के आकार और नीले रंग का हार्ट ऑफ़ एटर्निटी हीरा 27.64 कैरेट (5.528 ग्राम) का है।
अमेरिका के जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ने इसके रंग को फैंसी विविड ब्लू (fancy vivid blue) नाम दिया है।
यह हीरा (diamond) दक्षिण अफ्रीका की प्रीमियर डायमंड माइन में मिला था।
प्रीमियर खदान दुनिया की एकमात्र खदान है जहाँ नीले हीरे पाए गये।
हार्ट ऑफ़ एटर्निटी को स्टीनमेट्ज़ ग्रुप ने तराशा और बाद में डी बीयर्स ग्रुप को बेच दिया।
यह अत्यंत दुर्लभ रंगीन हीरों (rarest diamond) में से एक है।
सन 2000 में डी बीयर्स ने इस दुर्लभ हीरे को अन्य नीले हीरों के साथ लंदन में प्रदर्शनी में रखा।
जहाँ 7 नवंबर 2000 को इनको चुराने का एक विफल प्रयास भी हुआ।
2012 में, ऐसी अफवाहें थीं कि बॉक्सर फ्लॉयड मेवेदर ने अपनी मंगेतर शांटेल जैक्सन के लिए हार्ट ऑफ़ एटर्निटी का हार खरीदा था।
लेकिन डी बीयर्स ने यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्होंने हार्ट ऑफ़ एटर्निटी डायमंड किसको बेचा।
इसीलिए यह कहा नहीं जा सकता कि इस हीरे का वर्तमान मालिक कौन है।
एक चर्चा यह भी है कि डी बीयर्स ने इस हीरे को सैय्यद कादरी को बेच दिया था।
एक अनुमान के अनुसार इस हीरे (diamond) की कीमत लगभग 16 मिलियन डॉलर है जो भारतीय मुद्रा के अनुसार लगभग 120 करोड़ रूपए होते हैं।
8. आर्कड्यूक जोसेफ डायमंड (The Archduke Joseph Diamond)
दुनिया की सबसे पुरानी हीरे की खानों में से एक गोलकुंडा खदान, भारत में आर्कड्यूक जोसेफ डायमंड पाया गया था।
यह वही खदान है जहाँ कोहिनूर, ब्लू होप डायमंड और अन्य प्रसिद्ध हीरे (diamond) भी मिले थे।
इसका नाम ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक जोसेफ अगस्त के नाम पर रखा गया था।
आर्कड्यूक जोसेफ अगस्त ने पहली बार इसे 1 जून 1933 को हंगेरियन जनरल क्रेडिट बैंक की तिजोरी में जमा किया था।
यह ज्ञात नहीं है कि यह आर्कड्यूक जोसेफ के पास कैसे आया।
यह एक रंगहीन, प्राचीन कुशन के आकार का शानदार हीरा (diamond) है, जिसका वजन 78.54 कैरेट था।
कई लोगों के हाथों से होता हुआ यह हीरा 1990 के दशक में एरिज़ोना के मोलिना ज्वैलर्स द्वारा खरीदा गया।
उन्होंने इसे स्पष्टता में सुधार के लिए फिर से तराश कर 76.45 कैरेट का कर दिया।
13 नवंबर 2012 को अल्फ्रेडो जे मोलिना ने इस शानदार हीरे को क्रिस्टी के नीलामी घर में एक अज्ञात खरीदार को लगभग 21.5 मिलियन डॉलर में बेचा।
आर्कड्यूक जोसेफ डायमंड ने रंगहीन हीरे (colourless diamond) की बिक्री का विश्व रिकॉर्ड बनाया।
भारतीय रूपए में इसकी कीमत लगभग 160 करोड़ रूपए बनती है।
7. परफेक्ट पिंक (The Perfect Pink Diamond)
यह बहुमूल्य गुलाबी हीरा (diamond) आयताकार आकार और 14.23 कैरेट का है।
रत्न पारखी गुलाबी हीरे को सबसे सुंदर रत्नों में से एक मानते हैं।
उन्हें पहली बार भारत की प्राचीन खदानों में खोजा गया था।
ऐसा माना जाता है कि आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में कोल्लूर खदान में (जो उस समय गोलकुंडा साम्राज्य का हिस्सा था) सबसे पहले गुलाबी हीरों की उत्पत्ति हुई थी।
17 वीं और 18 वीं शताब्दी के दौरान, ब्राजील के मिनस गेरैस क्षेत्र में भी गुलाबी हीरे (diamond) की खोज हुई थी।
अब दुनिया के 80% गुलाबी हीरे पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के किम्बरली में अर्गिल खदान से निकलते हैं।
खदान के 20 मिलियन कैरेट के वार्षिक उत्पादन में से केवल 0.1% ही गुलाबी हीरे होते हैं।
परफेक्ट पिंक अपने रंग, स्पष्टता और कट के मामले में अतुलनीय है।
हीरों की नीलामी के 244 वर्षों के इतिहास में अभी तक विशिष्ट शुद्ध गुलाबी रंग दिखाने वाले 10 कैरेट से अधिक के केवल 18 हीरे बिक्री के लिए आये हैं।
2010 में, क्रिस्टी ने द परफेक्ट पिंक को एक अज्ञात खरीदार को बेच दिया।
द परफेक्ट पिंक (most expensive diamond) को हांगकांग में क्रिस्टी की नीलामी में 23 मिलियन डॉलर से अधिक में बेचा गया था।
भारतीय मुद्रा में इसका मूल्य लगभग 170 करोड़ रूपए है।
6. ग्राफ पिंक (Graff Pink)
इस नायाब हीरे (rarest diamond) ग्राफ पिंक के प्रारंभिक इतिहास के बारे में अधिक पता नहीं है।
ग्राफ पिंक एक दुर्लभ 24.78 कैरेट का गुलाबी हीरा है, जो कभी अमेरिकी सेलिब्रिटी ज्वैलर हैरी विंस्टन के स्वामित्व में था।
इस हीरे को गोल कोनों के साथ तराशा गया है और प्लेटिनम की अंगूठी पर दो शील्ड के आकार के हीरे के साथ लगाया गया है।
इसकी दुर्लभता के बावजूद, इस समय तक हीरे (diamond) का कोई नाम नहीं था।
1950 के दशक में इसे ज्वैलर हैरी विंस्टन ने एक निजी कलेक्टर को बेच दिया जो उसके पास 2010 तक रहा।
इसे सोथबी के नीलामीकर्ताओं ने 16 नवंबर 2010 को जिनेवा, स्विट्जरलैंड में बेचा।
यह 46 मिलियन डॉलर में बिका, जिससे यह उस समय की नीलामी में बेचा गया अब तक का सबसे महंगा गहना बन गया।
इसे ग्राफ डायमंड्स के हीरा (diamond) व्यापारी लॉरेंस ग्राफ ने खरीदा और ग्राफ पिंक नाम दिया।
भारतीय मुद्रा में इसकी कीमत लगभग 340 करोड़ रूपए है।
5. विटल्सबैक-ग्राफ डायमंड (Wittelsbach-Graff Diamond)
यह बहुमूल्य हीरा (diamond) भी आंध्र प्रदेश, भारत में गुंटूर जिले के कोल्लूर खानों से निकला था।
विटल्सबैक डायमंड, जिसे डेर ब्ल्यू विटल्सबैकर के नाम से भी जाना जाता है, एक 35.56 कैरेट (7.112 ग्राम) का फैंसी, गहरा, भूरा-नीला हीरा था।
इसके रंग और स्पष्टता की तुलना होप डायमंड से की जाती है।
1664 में स्पेन के राजा फिलिप IV ने इसे खरीदकर अपनी बेटी मार्गरेट टेरेसा की शादी में दहेज़ में दे दिया।
बाद में यह हीरा (diamond) ऑस्ट्रेलिया और बवेरिया के मुकुट रत्नों का हिस्सा बना।
1918 तक यह रत्न बवेरियन मुकुट के शीर्ष पर बना रहा।
1931 में ग्रेट डिप्रेशन के दौरान विटल्सबैक परिवार ने हीरा बेचने की कोशिश की लेकिन उसे कोई खरीदार नहीं मिला।
10 दिसंबर 2008 को, 35.56 कैरेट (7.112 ग्राम) के विटल्सबैक डायमंड को लंदन स्थित जौहरी लॉरेंस ग्रेफ को 23.4 मिलियन डॉलर में बेचा गया था।
7 जनवरी 2010 को इस हीरे को रंग और स्पष्टता बढ़ाने के लिए फिर से तराशा गया और इसका नाम बदलकर विटल्सबैक-ग्राफ रखा गया।
इस प्रक्रिया में इसका वजन 4.45 कैरेट (890 मिलीग्राम) कम हो गया था।
बहुत से विशेषज्ञों ने इस हीरे के 350 साल के इतिहास के कारण इसकी आलोचना भी की।
जून 2011 में, ग्राफ ने कतर के पूर्व अमीर शेख हमद बिन खलीफा अल थानी को 80 मिलियन डॉलर (most expensive diamond) में यह हीरा बेच दिया।
भारतीय मुद्रा में इसकी कीमत 590 करोड़ रूपए से अधिक है।
4. सेंटेनरी डायमंड (The Centenary Diamond)
डी बीयर्स का सेंटेनरी डायमंड 273.85 कैरेट (54.770 ग्राम) वजन का कलिनन I और II के बाद तीसरा सबसे बड़ा हीरा (biggest diamond in the world) है।
सेंटेनरी डायमंड की खोज 17 जुलाई 1986 को प्रीमियर माइन, दक्षिण अफ्रीका में एक्स-रे इमेजिंग सिस्टम का उपयोग करके की गई थी।
बिना तराशे हुए इस विशाल हीरे का वजन 599 कैरेट (119.8 ग्राम) था।
डी बीयर्स ने इसे तराशने की टीम के नेतृत्व के लिए गैबी टोलकोव्स्की को चुना।
इसे सुरक्षा गार्डों, इंजीनियरों और इलेक्ट्रीशियन की टीम को सौंपा गया और एक विशेष भूमिगत कमरा तैयार किया गया।
सेंटेनरी डायमंड को तराशने का काम अंततः 1991 के फरवरी में पूरा हुआ।
डी बीयर्स कॉर्पोरेशन ने सेंटेनरी डायमंड को टावर ऑफ़ लंदन को उधार दिया, जहां इसे कई वर्षों तक सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा गया था।
वर्तमान में इस हीरे (diamond) के स्वामित्व को लेकर रहस्य है।
ऐसा माना जाता है कि डी बीयर्स अब सेंटेनरी डायमंड का मालिक नहीं है।
लेकिन यह अज्ञात है कि इसका नया मालिक कौन है।
डी बीयर्स ने सेंटेनरी डायमंड के स्वामित्व की स्थिति पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
एक अनुमान के अनुसार इस विशाल हीरे (biggest diamond found) की कीमत लगभग 100 मिलियन डॉलर है।
जो भारतीय मुद्रा में लगभग 750 करोड़ रूपए बनती है।
3. होप डायमंड (Hope Diamond)
दुनिया के सबसे प्रसिद्ध हीरों (diamond) में से एक होप डायमंड का इतिहास लगभग चार शताब्दियों पुराना है।
यह हीरा विश्व प्रसिद्ध गोलकुंडा डायमंड्स में से एक है और इसकी उत्पत्ति कोल्लूर खान, गुंटूर, आंध्र प्रदेश भारत में हुई थी।
45.52 कैरेट (9.104 ग्राम) वजन का यह हीरा फैंसी डार्क ग्रे ब्लू रंग का है।
इस हीरे (diamond) को फ्रांसीसी व्यापारी जीन-बैप्टिस्ट टैवर्नियर ने 1666 में खरीदा था।
कुछ रिकॉर्ड यह भी कहते हैं कि टैवर्नियर ने इस बिना तराशे हुए हीरे को चुराया था।
तराशे जाने से पहले इसका वजन 112.23 कैरेट (22.446 ग्राम) था।
टैवर्नियर ने पेरिस जाकर इस हीरे को राजा लुई XIV को बेच दिया था।
1678 में, लुई XIV ने इसे तराशने के लिए ज्वैलर जीन पिटाउ को नियुक्त किया, जिसके परिणामस्वरूप इसका वजन 67.125 कैरेट (13.4250 ग्राम) हो गया।
फ्रांसीसी क्रांति के दौरान लुई XIV और उनके परिवार को कैद कर लिया गया और उसी समय यह हीरा चोरी हो गया।
इस हीरे के टुकड़े कर दिए गए और उनमें से एक बड़ा टुकड़ा होप डायमंड कहलाने लगा।
सालों बाद 1839 में यह हीरा हेनरी फिलिप होप के रत्न संग्रह में दिखाई दिया।
इसी खानदान और कई हाथों से होते हुआ यह हीरा 1910 में मशहूर हीरा व्यापारी पियरे कार्टियर के पास पहुंचा।
1911 में कार्टियर ने इसे मैकलीन्स दंपत्ति को बेच दिया।
1947 में श्रीमती मैकलीन की मृत्यु हो गई और उनके वारिसों ने इसे 1949 में न्यूयॉर्क के हीरा (diamond) व्यापारी हैरी विंस्टन को बेच दिया।
एक दशक तक देश भर में हीरे को प्रदर्शित करने के बाद हीरा व्यापारी हैरी विंस्टन ने इसे 1958 में स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट को प्रदर्शनी के लिए उदारतापूर्वक दान कर दिया।
अनुमान के अनुसार होप डायमंड की कीमत (hope diamond worth) लगभग 300 मिलियन डॉलर है।
भारतीय मुद्रा में लगभग 2200 करोड़ रूपए।
2. कलिनन डायमंड (The Cullinan Diamond)
26 जनवरी 1905 को दक्षिण अफ्रीका की प्रीमियर नंबर 2 खदान में 3,106.75 कैरेट (621.35 ग्राम) का दुनिया का सबसे बड़ा हीरा (largest diamond in the world) खोजा गया।
खदान के चेयरमैन सर थॉमस कलिनन के नाम पर इसका नाम कलिनन डायमंड रखा गया था।
1907 में, ट्रांसवाल कॉलोनी सरकार ने इसे खरीदकर इंग्लैंड के राजा एडवर्ड VII को भेंट कर दिया।
राजा ने एम्सटर्डम की जोसफ एस्चर एंड कंपनी को इस कच्चे हीरे को तराशने के लिए चुना।
दुनिया के इस सबसे बड़े हीरे (biggest diamond in the world) को तराशने पर कुल 1,055.89 कैरेट (211.178 ग्राम) के 9 बड़े हीरे और 19.5 कैरेट (3.90 ग्राम) वजन के 96 छोटे हीरे बने।
पहला शानदार पेंडलोक-कट हीरा 530.2 कैरेट (106.04 ग्राम) वजन का कलिनन I या ग्रेट स्टार ऑफ़ अफ्रीका है।
यह आज भी दुनिया का सबसे बड़ा (world’s biggest diamond) क्लियर कट हीरा है।
दूसरा शानदार कुशन-कट हीरा 317.4 कैरेट (63.48 ग्राम) वजन का कलिनन II या सेकंड स्टार ऑफ़ अफ्रीका है।
तीसरा नाशपाती के आकार और 94.4 कैरेट (18.88 ग्राम) वजन का कलिनन III, या लैसर स्टार ऑफ़ अफ्रीका है।
चौथा चौकोर आकार और 63.6 कैरेट (12.72 ग्राम) वजन का कलिनन IV है।
पांचवा कलिनन V 18.8 कैरेट (3.76 ग्राम) वजन का दिल के आकार का हीरा है।
छठा कलिनन VI मार्क्विस-कट है और इसका वजन 11.5 कैरेट (2.30 ग्राम) है।
सातवां कलिनन VII भी मार्क्विस-कट है और इसका वजन 8.8 कैरेट (1.76 ग्राम) है।
आठवां कलिनन VIII 6.8 कैरेट (1.36 ग्राम) वजन का एक आयताकार हीरा है।
कलिनन IX सबसे छोटा 4.39 कैरेट (0.878 ग्राम) वजन का है।
एक अनुमान के अनुसार आज कलिनन डायमंड (the cullinan diamond) की कीमत लगभग 1 बिलियन डॉलर है।
भारतीय मुद्रा में लगभग 7500 करोड़ रूपए है।
आभार: https://en.wikipedia.org/wiki/Cullinan_Diamond
1. कोहिनूर (Koh-i-noor)
दुनिया का सबसे अनमोल हीरा (most expensive diamond in the world) कोहिनूर भी कोल्लूर खदान, गोलकुंडा (वर्तमान आंध्र प्रदेश) में कृष्णा नदी के दक्षिणी तट से खनन किया गया था।
इसका वजन 105.6 कैरेट (21.12 ग्राम) और यह दुनिया के सबसे बड़े तराशे हुए हीरों में से एक है।
1852 में फिर से तराशे जाने से पहले इसका वजन 186 कैरेट (38.2 ग्राम) था।
कोहिनूर का अर्थ है प्रकाश का पहाड़।
इसे रखने वाले शासकों का इतिहास और जीवन हिंसा, हत्या, अंग-भंग, यातना और विश्वासघात से भरा हुआ था।
कोहिनूर हीरे का अभिशाप कहता है: “जिसके पास यह हीरा है वह दुनिया का मालिक होगा, लेकिन इसके सभी दुर्भाग्य को भी जानेगा। इसे केवल भगवान या एक महिला बिना दुष्प्रभाव के पहन सकती है।”
ब्रिटिश शाही परिवार स्पष्ट रूप से कोहिनूर के अभिशाप को जानते थे।
इसीलिए महारानी विक्टोरिया के शासनकाल से जब कोहिनूर हीरा (diamond) उनके पास आया तबसे हमेशा ब्रिटिश सिंहासन के पुरुष उत्तराधिकारी की पत्नी ही इसे पहनती है।
कोहिनूर का इतिहास (History of Koh-i-noor)
बहुमूल्य हीरे कोहिनूर का इतिहास महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं और तिथियों का विवरण देता है।
इसे संभवत: 13 वीं शताब्दी में काकतीय वंश के समय कोल्लूर खान में खनन किया गया था।
उस समय यह हीरा मालवा के राजा के पास था और 1306 में उसे काकतीय साम्राज्य के शासकों को हीरा देने के लिए मजबूर किया गया था।
यह हीरा मिलने के कुछ ही वर्षों बाद लगभग 250 वर्षों से शासन कर रहा काकतीय साम्राज्य 1323 में नष्ट हो गया।
दिल्ली सल्तनत (Delhi Sultanate)
मुहम्मद बिन तुगलक ने कोहिनूर को अपने कब्जे में ले लिया जो 1325 से 1351 तक दिल्ली का सुल्तान बना।
हीरा दिल्ली सल्तनत के कब्जे में आया जिसमें कई मुस्लिम राजवंश शामिल थे जिन्होंने भारत में 1526 तक शासन किया।
तुगलक वंश (1320-1413), सैय्यद वंश (1414-51) और लोदी वंश (1451-1526)।
ये सभी संक्षिप्त शासन काल युद्ध और हिंसा के साथ समाप्त हुए।
1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर ने दिल्ली के अंतिम सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराया और कोहिनूर हीरा मुगल साम्राज्य में चला गया।
मंगोल के लिए फारसी शब्द मुगल है।
कोहिनूर एक मुगल सम्राट से दूसरे मुगल सम्राट के पास गया।
इन वर्षों में अक्सर सम्राटों के पुत्रों ने पिता से सत्ता छीनने के लिए हिंसा और रक्तपात किया।
प्रसिद्ध मुगल सम्राट शाहजहाँ (1592 – 1666) ने अपने अलंकृत मयूर सिंहासन पर कोहिनूर लगवाया हुआ था।
1639 में उनके चार बेटों दारा शिकोह, शाह शुजा, औरंगजेब और मुराद बख्श के बीच साम्राज्य के लिए संघर्ष शुरू हुआ।
शाह शुजा ने अपने भाई दारा शिकोह को मार डाला और फिर 1658 में औरंगजेब ने शुजा को हरा दिया और उसे पूरे परिवार के साथ मौत के घाट उतार दिया।
1739 में फ़ारसी राजा नादिर शाह ने मुगल साम्राज्य पर आक्रमण किया और कोहिनूर हीरा चुरा लिया।
नादिर शाह ने ही इस हीरे (diamond) को कोहिनूर नाम दिया था।
वह कोहिनूर हीरे को फारस ले गया।
1747 में नादिर शाह की हत्या के बाद कोहिनूर उसके उत्तराधिकारियों के पास चला गया।
वे सब भी मार दिए गए, गद्दी से हटाए गए या अंधे कर दिए गए थे।
अब राजा रणजीत सिंह ने साम्राज्य और कोहिनूर हीरे पर कब्जा कर लिया था।
1839 में राजा रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई और उनके उत्तराधिकारियों में उनकी बहादुरी और दूरदर्शिता का अभाव था।
ब्रिटिश साम्राज्य (British Empire)
सिख साम्राज्य कमजोर हो गया और अंग्रेजों ने 1858 – 1947 तक भारत पर नियंत्रण कर लिया।
भारत के ब्रिटिश गवर्नर-जनरल, लॉर्ड डलहौजी की कूटनीति के कारण रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी दलीप सिंह ने कोहिनूर हीरा महारानी विक्टोरिया को भेंट कर दिया।
लंदन के हाइड पार्क में एक बड़ी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जहाँ कोहिनूर को ब्रिटिश जनता के सामने रखा गया था।
1852 में प्रिंस अल्बर्ट ने आदेश दिया कि चमक बढ़ने के लिए कोहिनूर हीरे को फिर से तराशा जाए।
इससे इसका वजन 186 कैरेट से 105 कैरेट हो गया।
उस समय कोहिनूर हीरे (diamond) को एक मुकुट में दो हजार से अधिक अन्य छोटे हीरों के साथ लगाया गया था।
कोहिनूर हीरे को ब्रिटिश राजाओं की पत्नियों के मुकुट में लगाया गया था।
तब से कोहिनूर ब्रिटिश क्राउन ज्वेल्स का हिस्सा है।
कोहिनूर की कीमत (Value of Kohinoor)
दुनिया के सबसे कीमती हीरा अनमोल है।
फिर भी विशेषज्ञ इसकी कीमत लगभग 3-4 बिलियन डॉलर लगाते हैं।
भारतीय मुद्रा में इसकी कीमत लगभग 30000 करोड़ रूपए होगी।