Pandemics (महामारी) किसे कहते हैं? एक बीमारी का प्रकोप जो एक विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र (जैसे कई देशों या महाद्वीपों) और आबादी के एक महत्वपूर्ण अनुपात को प्रभावित करता है, महामारी कहलाता है। हैजा, बुबोनिक प्लेग, चेचक और इन्फ्लूएंजा मानव इतिहास को प्रभावित करने वाली कुछ सबसे क्रूर महामारियाँ हैं। चेचक ने अपने 12000 वर्षों के अस्तित्व में 300-500 मिलियन लोगों की जान ली है। आज हम एक ऐसी ही महामारी कोविड-19 का सामना कर रहे हैं।
इस लेख में मरने वालों की संख्या के आधार पर दस प्रमुख महामारियों (List of Pandemics) की सूची दी गयी है।
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इतिहास में महामारियों की सूची (List of pandemics in history)
10. 1918-1922 रूस टाइफस महामारी (1918-1922 Russia Typhus Epidemic)
रूस में 1918 और 1922 के बीच, प्रथम विश्व युद्ध और रूसी गृहयुद्ध के दौरान, टाइफस महामारी (Epidemics), 2–3 मिलियन लोगों की मृत्यु का कारण बनी।
(Pandemics in History)
टाइफस महामारी (Epidemic) को अकाल, शीत और युद्ध ने तीव्र किया और मनुष्यों पर प्रहार किया।
रूस में टाइफस महामारी (pandemics) के फैलने का मुख्य कारण संक्रमित जूँ के संपर्क में आना था।
प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत से बहुत पहले रूस में टाइफस की शुरुआत हो चुकी थी।
1917-18 की कड़ाके की सर्दी के दौरान अकाल और युद्ध से तबाह रूस में टाइफस का सबसे बड़ा प्रकोप शुरू हुआ।
सैनिक और शरणार्थी टाइफस से संक्रमित हुए और उन्होंने पूरे देश में इसको फैला दिया।
यह महामारी (worst diseases) बड़े शहरों में शुरू हुई और साइबेरिया और मध्य एशिया के दूरदराज क्षेत्रों तक पहुंच गई।
इस रोग के लक्षण आमतौर पर जूँ के संपर्क में आने के 2 सप्ताह के भीतर शुरू हो जाते थे।
जैसे बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, खांसी, तेजी से साँस लेना, शरीर/मांसपेशियों में दर्द, चकत्ते, मतली, उल्टी आदि।
इस महामारी के कारण रूस में 1918 और 1922 के बीच, 12% लोग पेचिश (dysentery), 11% लोग आंत्रशोथ (gastro-enteritis), 9% लोग निमोनिया, 9% लोग हृदय रोग और हैज़ा से 8% लोग मारे गए।
टाइफस महामारी के कारण जन्म दर में भी तेजी से कमी आयी।
आंकड़ों के अनुसार इस महामारी से 2.5 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।
इस दौर में अकाल और भूख से मरने वाले लोगों की गिनती इसमें शामिल नहीं है।
9. 1520 मेक्सिको चेचक महामारी (1520 Mexico Smallpox Epidemic)
यूरोपीय लोगों के आने से पहले तक मैक्सिको ही नहीं बल्कि पूरे अमेरिका के लिए चेचक एक अज्ञात बीमारी (pandemics) थी।
1519 में व्यापार और विजय के उद्देश्य से हर्नान कोर्टेस सैकड़ों स्पेनियों, नौकरों और गुलामों के साथ टेनोचिट्लान की राजधानी एज़्टेक (आज का मेक्सिको सिटी) पहुँचा।
उसने सम्राट मोक्टेज़ुमा को बंदी बना लिया और उनकी मृत्यु हो गई।
नाराज हो कर वहां के लोगों ने हर्नान कोर्टेस और स्पेनियों को 30 जून, 1520 को एज़्टेक से बाहर निकाल दिया।
लेकिन जाते समय स्पेनियों ने अपने साथ क्यूबा से लाए गुलामों को पीछे छोड़ दिया।
उनमें से कुछ पहले से ही चेचक से संक्रमित थे।
हार के बाद कोर्टेस और उसके सहयोगियों ने शहर की घेराबंदी कर ली थी।
धीरे धीरे यह महामारी (pandemics) फैलने लगी।
1520 में सम्राट मोक्टेज़ुमा के उत्तराधिकारी कुइटलाहुआक की भी इस बीमारी से मृत्यु हो गई।
घेराबंदी के कारण यह महामारी बहुत तेजी से फैलने लगी।
कोर्टेस ने एक साल बाद अगस्त 1521 में बीमारी से तबाह हुए शहर में फिर से प्रवेश किया।
तब तक चेचक, लड़ाई, भोजन की कमी और नाकाबंदी के कारण शहर की गलियां सड़ती हुई लाशों से भर गयी थीं।
बहुत स्थानों पर ऐसा हुआ कि एक घर में सब मर गए और सबको गाड़ना नामुमकिन था।
इसीलिए उन्होंने उनके ऊपर घरों को डहा दिया और उनके घर ही उनकी कब्र बन गए।
एज़्टेक राजधानी के बाहर, ग्रामीण लोग भी चेचक की महामारी से जूझ रहे थे।
इस महामारी (worst pandemic in history) ने हिस्पैनिक आबादी के अधिकांश लोगों को मार डाला।
1519 से 1520 तक इस एक साल में चेचक महामारी ने 5 से 8 मिलियन लोगों को मार डाला।
इससे इस देश की जनसँख्या एक साल में 40% कम हो गयी थी और एज़्टेक साम्राज्य समाप्त हो गया।
8. कोविड -19 महामारी (Covid-19 Pandemic)*
वैश्विक महामारी (recent pandemics) कोरोनावायरस रोग 2019 (COVID-19) तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 (SARS-CoV-2) के कारण होती है।
हालांकि वायरस की सटीक उत्पत्ति अभी भी अज्ञात है लेकिन पहला मामला वुहान, हुबेई, चीन में नवंबर 2019 में आया था।
कितना घातक है कोविड 19? (Hoe deadly is covid-19?)
15 अगस्त 2021 तक, 207 मिलियन से अधिक मामलों और 4.36 मिलियन मौतों की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है।
जबकि आम लोगों का मानना है कि यह आंकड़ा दुगने से अधिक हो सकता है।
COVID-19 के लक्षण साधारण से लेकर जानलेवा तक होते हैं।
यह महामारी (pandemics) सांसों के द्वारा फैलती है।
आंखों, नाक या मुंह में दूषित तरल पदार्थ के छींटे या छिड़काव (छींक) से भी संक्रमण हो सकता है।
लोग 20 दिनों तक संक्रामक रहते हैं, और कोई लक्षण न होने पर भी वायरस फैला सकते हैं।
निवारक उपायों में सामाजिक दूरी, फेस मास्क, हाथ धोना, छींकते या खांसते समय अपने मुंह को ढंकना, सतहों को कीटाणुरहित करना और संक्रमित लोगों के लिए निगरानी और आत्म-अलगाव शामिल है।
इस महामारी (pandemics) के कारण गंभीर वैश्विक सामाजिक और आर्थिक व्यवधान उत्पन्न हुआ है।
जिसमें 1930 की महामंदी के बाद से सबसे बड़ी वैश्विक मंदी भी शामिल है।
दुनिया भर में यात्रा प्रतिबंध, लॉकडाउन, व्यवसाय, शैक्षणिक संस्थान और सार्वजनिक क्षेत्र आंशिक या पूरी तरह से बंद हैं।
संक्रमितों के लक्षणों को दूर करने का उपचार चल रहा है।
लेकिन वायरस को रोकने वाली दवाऐं विकसित करने के लिए भी शोध हो रहा है।
दिसंबर 2020 से बहुत से देशों में वैक्सीन लगायी जा रही है।
आज हम यही प्रार्थना करते हैं कि मानवता इस महामारी (deadliest pandemics) को हराने में सफल हो।
7. 165-180 रोमन साम्राज्य एंटोनिन प्लेग (165-180 Roman Empire Antonine Plague)
एंटोनिन प्लेग को गैलेन प्लेग (plagues) भी कहा जाता है।
यह प्लेग (plague outbreaks) 165 में रोमन सम्राट मार्कस ऑरेलियस एंटोनिनस (161-180 सीई) के शासनकाल के दौरान भूमध्यसागरीय इलाके में फैला।
संभवतः 166 से कुछ समय पहले यह महामारी (pandemics) चीन से शुरू हुई।
सिल्क रोड से पश्चिम की ओर फैल गई और व्यापारिक जहाजों के माध्यम से रोम पहुँच गयी।
165 के अंत और 166 ईस्वी के बीच, रोमन सेना सेल्यूसिया (टाइग्रिस नदी पर एक प्रमुख शहर) की घेराबंदी के दौरान इस बीमारी के संपर्क में आई।
युद्ध से लौटने वाले सैनिकों ने इस बीमारी को उत्तर की ओर गॉल और राइन नदी के किनारे तैनात सैनिकों के बीच फैला दिया।
इस महामारी के लक्षण थे बुखार, दस्त, उल्टी, प्यास, गले में सूजन और खांसी।
खांसने से सांस में दुर्गंध आती थी और पूरे शरीर पर लाल और काले दाने और फोड़े हो जाते थे।
संक्रमित लोगों में से एक चौथाई की मौत हो जाती थी।
आधुनिक शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि साम्राज्य को प्रभावित करने वाली यह बीमारी (pandemics) संभवतः चेचक थी।
रोमन इतिहासकार डियो कैसियस ने इस महामारी के प्रकोप से रोम में प्रति दिन 2000 मौतों का अनुमान लगाया था।
इस महामारी से हुई कुल मौतों का अनुमान लगभग 5-10 मिलियन के बीच है।
कुछ क्षेत्रों में एक तिहाई आबादी मर गयी और रोमन सेना तबाह हो गयी।
169 ईस्वी में मार्कस ऑरेलियस के सह-सम्राट लूसियस वेरस की इस महामारी से मृत्यु हो गई और उसके 11 साल बाद मार्कस ऑरेलियस की मृत्यु भी इसी कारण हुई।
महामारी (pandemics) ने रोमन साम्राज्य की सेना और अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया और इस साम्राज्य के पतन का कारण बनी।
6. 1545-1548 की कोकोलिज़्टली महामारी (1545-1548 Cocoliztli Epidemics)
16 वीं शताब्दी में न्यू स्पेन (आज का मेक्सिको) में अचानक प्रकट हुई इस महामारी के बारे में कोई नहीं जानता, जिसने पूरी मूल आबादी के लगभग 45% लोगों को मार डाला था।
इस रहस्यमयी महामारी को स्थानीय एज़्टेक लोग कोकोलिज़्टली कहते थे, जिसका अर्थ स्थानीय भाषा में महामारी है।
महामारियों की सूची में (list of pandemics) इस प्रकोप को मेक्सिको के इतिहास में सबसे खराब महामारी के रूप में जाना जाता है।
इसके लक्षण थे तेज बुखार, सिरदर्द, चक्कर, काली जीभ, गहरे रंग का मूत्र, पेचिश, पेट और सीने में तेज दर्द, सिर और गर्दन में गाँठ, तंत्रिका संबंधी विकार, पीलिया और नाक, मुँह, आँखों से अत्यधिक रक्तस्राव।
कुछ जगह संक्रमण के दौरान धब्बेदार त्वचा, खूनी दस्त और साथ ही साथ आंखों, मुंह और योनि से रक्तस्राव का भी उल्लेख है।
संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु अक्सर 3 से 4 दिनों के भीतर हो जाती थी।
1545-1548 के प्रकोप में अधिकांश मौतें एज़्टेक आबादी में ही हुई थीं।
मेक्सिको की घाटी में ही लगभग 800000 लोगों की मृत्यु हो गई थी।
इस चार साल की अवधि के दौरान या इसके तुरंत बाद कुछ विशेष जगहों से बड़ी संख्या में लोगों ने पलायन किया।
इस महामारी (pandemics) के दौरान मारे गए लोगों की कुल संख्या लगभग 5 से 15 मिलियन लोगों के बीच है।
जो इसे इतिहास के सबसे घातक प्रकोपों (worst pandemics in history) में से एक बनाता है।
5. 1855-1960 तीसरा प्लेग महामारी (1855-1960 Third Plague Pandemics)
तीसरा प्लेग महामारी एक प्रमुख बुबोनिक प्लेग (worst plagues in history) महामारी थी जो चीन के युन्नान में 1855 में शुरू हुई थी।
यह बुबोनिक प्लेग कई महाद्वीपों में फ़ैल गया और 12-15 मिलियन लोगों की मौत का कारण बना।
अकेले भारत में ही 10 मिलियन से अधिक लोग मारे गए थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार इस महामारी (pandemics) को 1960 तक सक्रिय माना जाता था।
हालाँकि दुनिया भर में हताहतों की संख्या घटकर 200 प्रति वर्ष हो गई, लेकिन महामारी सक्रिय थी।
प्लेग ने गरीब लोगों को अधिक मारा जो कम जगह में एक साथ और चूहों के करीब रहते थे।
कुछ ही महीनों में दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाले कोरोनावायरस की तुलना में, प्लेग के जीवाणु को फैलने में वर्षों लगे।
1896 में प्लेग भारत के पश्चिमी तट पर बंबई (अब मुंबई) पहुंचा।
बॉम्बे भारत का प्रमुख बंदरगाह और ब्रिटिश साम्राज्य का केंद्र था और प्लेग फैलने के लिए आदर्श जगह थी।
यह शहर भारत के अंदर कहीं भी जाने के लिए रेलवे लाइनों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ था।
इसके अलावा, इस शहर में बड़ी संख्या में कमजोर प्रतिरक्षा वाले गरीब लोगों की मलिन बस्तियां थीं।
जब प्लेग (plagues) फैलने लगा तो अंग्रेजों ने अभूतपूर्व क्रूरता का व्यवहार किया।
लोगों को अस्पताल में फेंक दिया जाता था।
अंग्रेज भारतीय जनता की स्थितियों और भावनाओं के प्रति पूरी तरह से असंवेदनशील थे।
बाद के वर्षों में भी प्लेग का प्रकोप भारत के बड़े हिस्से में फैलता रहा।
1907 के वर्ष में मरने वालों की संख्या दस लाख से अधिक हो गई थी।
कुल मिलाकर, तीसरी प्लेग महामारी (pandemics) ने भारत में लगभग 12 मिलियन लोगों के जीवन हर लिया – यह वास्तव में एक क्रूर भारतीय महामारी थी।
4. 541-542 जस्टिनियन का प्लेग (541-542 Plague of Justinian)
जस्टिनियन का प्लेग सम्राट जस्टिनियन के शासनकाल में प्लेग महामारी (plagues in history) का पहला बड़ा प्रकोप था।
इस महामारी (pandemics) ने पूरे भूमध्यसागरीय बेसिन, यूरोप, सासैनियन साम्राज्य और बीजान्टिन साम्राज्य और विशेष रूप से इसकी राजधानी कॉन्स्टेंटिनोपल को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
जस्टिनियन प्लेग की उत्पत्ति का स्थान मिस्र था।
प्लेग फैलने का कारण चूहे थे जो अनाज से लदे जहाजों के साथ कॉन्स्टेंटिनोपल पहुँच गए थे।
8 वीं शताब्दी में उत्तरी अफ्रीका बीजान्टिन साम्राज्य के लिए अनाज का प्राथमिक स्रोत था।
विशाल गोदामों में चूहों को प्रजनन स्थल मिला और प्लेग फैलने का कारण बना।
इस अनाज को नावों और गाड़ियों से पूरे साम्राज्य में ले जाया गया और इसके साथ ये संक्रमित चूहे भी फैल गए।
प्लेग इतना व्यापक था कि कोई भी सुरक्षित नहीं था; यहां तक कि सम्राट भी इससे ग्रसित हो गए, हालांकि वह मरे नहीं।
राजधानी की सड़कों पर लाशें बिखरी पड़ी थीं।
कब्रिस्तान और कब्रें भर जाने के बाद लाशों को दफन करने के लिए गड्ढे और खाइयां खोदी गईं।
शवों को समुद्र में फेंक दिया जाता था।
इस महामारी (pandemics) से केवल मनुष्य ही नहीं प्रभावित थे, बिल्लियों और कुत्तों सहित सभी प्रकार के जानवर मर गए।
प्लेग ने राजनीतिक और आर्थिक रूप से बीजान्टिन साम्राज्य को कमजोर करने में योगदान दिया।
पूरे साम्राज्य में व्यापार बाधित और विशेष रूप से कृषि क्षेत्र तबाह हो गया था।
आधुनिक इतिहासकार राजधानी कॉन्स्टेंटिनोपल में प्रतिदिन 5,000 मौतों का अनुमान लगाते हैं।
कॉन्स्टेंटिनोपल के 20-40% निवासी इस महामारी (pandemics) के कारण मर गए।
पूरे साम्राज्य में, लगभग 30-50 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई जो की आबादी का लगभग 25% था।
3. एचआईवी/एड्स महामारी (HIV/AIDS Pandemics)*
यह व्यापक रूप से माना जाता है कि एचआईवी की उत्पत्ति 1920 के आसपास कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में किंशासा में हुई थी।
एचआईवी (Human Immunodeficiency Virus) चिंपैंजी से मनुष्यों में फैला।
1980 के दशक तक, हम नहीं जानते कि कितने लोग एचआईवी या एड्स से संक्रमित थे।
इस महामारी (pandemics) का संक्रमण चुपचाप फैल रहा था क्योंकि इसके लक्षणों के बारे में किसी को पता नहीं था।
1980 तक एचआईवी पांच महाद्वीपों (उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया) में फैल चुका था।
पिछले 40 सालों से एचआईवी एक प्रमुख महामारी (pandemics) बनी हुई है।
जिसने अब तक 36.3 मिलियन लोगों की जान ले ली है।
एचआईवी से संक्रमित लोग पहले कुछ महीनों में सबसे अधिक संक्रामक होते हैं, कई लोग बाद के चरणों तक अपनी स्थिति से अनजान रहते हैं।
प्रारंभिक संक्रमण के पहले कुछ हफ्तों में लोगों को या तो कोई लक्षण नहीं या बुखार, सिरदर्द, दाने या गले में खराश सहित इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी का अनुभव हो सकता है।
जैसे-जैसे संक्रमण प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, अन्य लक्षण जैसे सूजन, लिम्फ नोड्स, वजन घटना, बुखार, दस्त और खांसी हो सकते हैं।
एचआईवी संक्रमित लोगों से संक्रमण शरीर के विभिन्न तरल पदार्थों जैसे रक्त, स्तन का दूध, वीर्य और योनि स्राव के आदान-प्रदान से फैल सकता है।
एचआईवी संक्रमण का कोई इलाज नहीं है।
हालांकि, प्रभावी एचआईवी रोकथाम, निदान, उपचार और देखभाल एचआईवी संक्रमित लोगों को लंबा और स्वस्थ जीवन जीने में सक्षम बनाती है।
अनुमानित 2020 के अंत तक 37.7 मिलियन लोग एचआईवी संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से दो तिहाई से अधिक अफ्रीकी क्षेत्र में हैं।
केवल 2020 में, 680000 लोग एचआईवी से संबंधित कारणों से मारे गए और 1.5 मिलियन लोग संक्रमित हुए।
2. 1918-1920 स्पेनिश फ्लू महामारी (1918-1920 Spanish Flu Pandemics)
इतिहास की सबसे घातक 1918 की स्पैनिश फ्लू महामारी ने दुनिया की एक तिहाई आबादी लगभग 500 मिलियन लोगों को संक्रमित किया और इसमें 50 मिलियन से अधिक पीड़ितों की मौत हो गई।
पहली बार यह महामारी दुनिया भर में फैलने से पहले 1918 में यूरोप, अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्सों में देखी गयी।
फ्लू वायरस अत्यधिक संक्रामक होता है।
1918 में इस महामारी की पहली हल्की लहर वसंत ऋतु में आई।
लोगों ने ठंड लगना, बुखार और थकान जैसे सामान्य फ्लू के लक्षणों का अनुभव किया।
इस लहर में मौतों की संख्या कम थी।
उसी वर्ष इन्फ्लूएंजा की एक दूसरी अत्यधिक संक्रामक लहर दिखाई दी।
लक्षणों के विकसित होने के कुछ घंटों या दिनों के भीतर पीड़ितों की मृत्यु होने लगी।
जब 1918 का फ्लू आया तो डॉक्टर और वैज्ञानिक अनिश्चित थे कि इसका क्या कारण है या इसका इलाज कैसे किया जाए।
आज के विपरीत, फ्लू का इलाज करने के लिए कोई प्रभावी टीके या एंटीवायरल दवाएं उपलब्ध नहीं थीं।
यह प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति का समय था।
विभिन्न देशों के संक्रमित सैनिक लौट रहे थे।
उसी क्रम में 29 मई 1918 को सैनिकों को लेकर एक जहाज बम्बई पहुंचा और 10 जून से बंदरगाह के कर्मचारियों में संक्रमण शुरू हो गया।
भारत में इस महामारी के कारण 12 मिलियन लोगों की मौत हुई थी।
इस महामारी ने प्रथम विश्व युद्ध में मरने वाले लोगों की संख्या से कहीं अधिक 50 से 100 मिलियन लोगों को मार दिया था।
जो इसे मानव इतिहास की सबसे घातक महामारियों में से एक बनाता है।
1. 1349-1353 ब्लैक डेथ महामारी (1349-1353 Black Death Pandemics)
बुबोनिक प्लेग की एक विनाशकारी वैश्विक महामारी (pandemics) ब्लैक डेथ ने 1349-1353 के बीच यूरोप और एशिया को प्रभावित किया था।
महामारी के इतिहास (history of pandemics) में ब्लैक डेथ की उत्पत्ति विवादित है।
महामारी की उत्पत्ति या तो मध्य एशिया या पूर्वी एशिया में हुई थी, लेकिन इसकी पहली निश्चित उपस्थिति 1347 में क्रीमिया में हुई थी।
अक्टूबर 1347 में 12 जहाज मेसिना के सिसिली बंदरगाह पर उतरे।
जहाजों पर अधिकांश नाविक मर चुके थे और जो जीवित थे उनके शरीर काले फोड़े से ढके हुए थे जिनमें खून और मवाद बह रहा था।
सिसिली के अधिकारियों ने जहाजों के बेड़े को बंदरगाह से बाहर निकालने का आदेश दिया।
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और अगले पांच वर्षों में ब्लैक डेथ ने यूरोप में 20 मिलियन से अधिक लोगों को मार दिया।
(How long did the bubonic plague last?)
रोग के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, मतली और उल्टी शामिल है।
इस बुबोनिक प्लेग से 80 प्रतिशत लोग आठ दिनों के भीतर मर जाते थे।
ब्लैक डेथ महामारी भयंकर संक्रामक थी।
केवल छूने से ही यह फ़ैल जाती थी।
जो लोग रात को सोने के समय पूरी तरह स्वस्थ होते थे, सुबह तक उनकी मौत हो जाती थी।
महामारी से आबादी में बड़ी गिरावट आयी और कामगारों की कमी हो गई।
सामाजिक और आर्थिक रूप से पूरा विश्व बर्बादी के कगार पर पहुँच गया।
उस समय के दौरान इराक, ईरान और सीरिया सहित मध्य पूर्व में लगभग एक तिहाई आबादी की मृत्यु हो गयी थी।
ब्लैक डेथ (black plague death toll) ने मिस्र की लगभग 40% आबादी को मार डाला।
इस महामारी (bubonic plague death toll) के कारण यूरेशिया में लगभग 75 से 200 मिलियन लोगों की मृत्यु हो गयी थी।
* – यह महामारी अभी भी सक्रिय है।