Top 10 Important Assassination in the History

Assassination (हत्या या कपटवध) किसे कहते हैं। एक प्रमुख या महत्वपूर्ण व्यक्ति जैसे राज्य के प्रमुख, सरकार के प्रमुख, राजनेता, रॉयल्टी, मशहूर हस्तियां, पत्रकार या सीईओ को मारने को हत्या या कपटवध कहते हैं। इसे राजनीतिक, सैन्य उद्देश्य, वित्तीय लाभ, बदला लेने के लिए, प्रसिद्धि या कुख्याति प्राप्त करने के लिए या सैन्य, सुरक्षा, विद्रोही या गुप्त पुलिस समूह के आदेश के कारण अंजाम दिया जाता है। प्राचीन काल से ही राजनीतिक हत्याऐं (assassination) की जाती रही हैं।

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माना जाता है कि हत्यारा (assassin) शब्द हैशशशिन (hashshashin) शब्द से निकला है जो अरबी शब्द हशीश से बना है। यह निज़ारी इस्माइलिस के समूह को संदर्भित करता है जिन्हें राजनीतिक हत्यारों (famous assassins) के रूप में जाना जाता था। ये हत्यारे 8 वीं से 14 वीं शताब्दी तक फारस में आलमुत के किले में सक्रिय थे।

विभिन्न ज्ञात और अज्ञात कारणों से सार्वजनिक हस्तियों, राजनीतिक नेताओं और यहां तक ​​की सम्राटों की हत्या (assassination) करना असामान्य नहीं है। कभी-कभी ये हत्याऐं चौंकाने वाली होती हैं और इनसे सामाजिक अस्थिरता, लड़ाई और युद्ध शुरू हो जाते हैं। इस लेख (list of assassinations) में हम ऐसी ही हत्याओं के बारे में चर्चा करेंगे। (Top 10 Assassinations in History)

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10. राजीव गांधी की हत्या (Assassination of Rajiv Gandhi)

प्रधान मंत्री के रूप में राजीव गाँधी ने पड़ोसी देश श्रीलंका में विद्रोह को समाप्त करने के लिए भारतीय सेना को भेजा।

पीएम को इस जोखिम भरे मिशन को अंजाम देने की सलाह कोलंबो के भारतीय उच्चायोग, सैन्य कमांडरों और खुफिया एजेंसियों द्वारा दी गई थी।

इस मिशन में कई भारतीय सैनिकों की जान गई लेकिन LTTE को काबू नहीं किया जा सका।

सेना को वापस बुला लिया गया, लेकिन तब तक LTTE राजीव गाँधी का कट्टर दुश्मन बन चुका था।

राजीव गांधी की हत्या (assassination) 21 मई 1991 को भारत के तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर, चेन्नई में एक आत्मघाती बम विस्फोट के द्वारा की गयी।

इसमें राजीव गांधी के अलावा कम से कम 14 अन्य लोग भी मारे गए और 43 गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

इस विस्फोट को थेनमोझी राजरत्नम (जिसे धनु के नाम से भी जाना जाता है) द्वारा अंजाम दिया गया।

वह श्रीलंकाई तमिल अलगाववादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) की सदस्य थी।

राजीव गाँधी श्रीपेरंबदूर में एक प्रचार रैली में पहुंचे और भाषण देने के लिए मंच की ओर बढ़े।

रास्ते में कई शुभचिंतकों, कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं और स्कूली बच्चों ने उन्हें माला पहनाई।

हत्यारी (deadliest assassin in history) धनु उनके पास पहुंची और अभिवादन किया।

वह नीचे झुकी और उसने अपनी ड्रेस के नीचे आरडीएक्स विस्फोटक से लदी बेल्ट में विस्फोट कर दिया।

थेनमोझी 17 साल की थी जब उसने हत्या (assassination) को अंजाम दिया था।

इस हत्या को एक स्थानीय फोटोग्राफर हरिबाबू ने फिल्माया था ।

जो इस विस्फोट में मारा गया लेकिन उसका कैमरा और फिल्म बच गयी थी।

हत्या के बाद राजीव गांधी को नई दिल्ली ले जाया गया।

उनका अंतिम संस्कार यमुना नदी के तट पर किया गया जिसे अब वीरभूमि के नाम से जाना जाता है।

assassination
Rajiv Gandhi

परिणाम (Aftermath of assassination)              

इसी महीने भारत सरकार ने लिट्टे की गतिविधियों से आंखें मूंदने के लिए तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सरकार को बर्खास्त कर दिया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया।

22 मई 1991 को हत्या (assassination) के तुरंत बाद, चंद्रशेखर सरकार ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी।

यह मुकदमा TADA अधिनियम के तहत चलाया गया था।

26 जनवरी 1998 को, चेन्नई में नामित TADA अदालत ने सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा दी।

मानवाधिकार समूहों ने इसका विरोध किया।

सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर, केवल चार आरोपियों को मौत की सजा दी गई और अन्य को जेल की सजा सुनाई गई।

इसका अनुमान लगाना मुश्किल है कि यदि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन ने राजीव गांधी की हत्या (assassination) का आदेश नहीं दिया होता तो उनकी नियति क्या होती।

9. बेनजीर भुट्टो की हत्या (Assassination of Benazir Bhutto)

दो बार पाकिस्तान की प्रधान मंत्री और तत्कालीन विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नेता बेनज़ीर भुट्टो की हत्या (assassination) 27 दिसंबर 2007 को पाकिस्तान के रावलपिंडी में हुई थी।

अदालतों में लंबित भ्रष्टाचार के मुकदमों के कारण भुट्टो आठ साल से निर्वासन में थीं।

2008 के चुनावों की तैयारी के लिए राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की अनुमति के बाद बेनजीर भुट्टो 18 अक्टूबर 2007 को कराची आ गयीं।

वापस आने के बाद कराची में एक हत्या (assassination) के प्रयास में भुट्टो बाल-बाल बचीं।

18 अक्टूबर 2007 को कराची में उनकी रैली के रास्ते में दो विस्फोट हुए।

इसमें भुट्टो बच गयीं लेकिन 139 लोग मारे गए और कम से कम 450 घायल हो गए।

इस बमबारी के बाद बेनजीर भुट्टो और उनके पति ने राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से अधिक सुरक्षा की मांग की।

अमेरिका स्थित ब्लैकवाटर और यूके स्थित आर्मर ग्रुप से निजी सुरक्षा कर्मियों को प्राप्त करने का भी प्रयास किया गया।

लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने विदेशी सुरक्षा कर्मियों को वीजा देने से इनकार कर दिया।

बेनज़ीर भुट्टो ने 27 दिसंबर 2007 को पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक रैली को संबोधित किया।

जब वह रैली से जाने लगीं तो हत्यारों ने बेनज़ीर भुट्टो की बुलेटप्रूफ सफेद टोयोटा लैंड क्रूजर पर गोलियां चलायीं।

फिर एक 15 वर्षीय आत्मघाती हमलावर ने उनके वाहन के पास खड़े होकर विस्फोट किया।

बेनज़ीर भुट्टो को स्थानीय समयानुसार 17:35 बजे रावलपिंडी जनरल अस्पताल ले जाया गया।

जहाँ 18:16 बजे उन्हें मृत (assassinated) घोषित कर दिया गया।

आभार: https://en.wikipedia.org/wiki/Assassination_of_Benazir_Bhutto

assassinations
Benazir Bhutto

परिणाम (Loss after assassination in Pakistan)

इस हत्या के बाद पकिस्तान में दंगे भड़क गए।

दंगाइयों ने 176 बैंकों, 34 पेट्रोल स्टेशनों और सैकड़ों कारों और दुकानों को नष्ट कर दिया।

सामूहिक विरोध से संबंधित घटनाओं में, पुलिस द्वारा या विभिन्न समूहों की गोलीबारी में 100 से अधिक लोग मारे गए।

तीन दिन के बंद के बाद, कराची स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स 4.7% गिर गया।

अक्टूबर 2001 के बाद से पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने निम्नतम स्तर पर पहुँच गया।

हत्या (assassination) के बाद हुए दंगों के कारण पाकिस्तान रेलवे को 12.3 बिलियन पाकिस्तानी रुपयों का नुकसान हुआ।

मृत्यु के दो दिनों के भीतर 63 रेलवे स्टेशन, 149 बोगियां और 29 इंजन क्षतिग्रस्त कर दिए गए थे।

पहले चार दिनों में कराची को 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ।

पांचवें दिन तक, देशव्यापी हिंसा का नुकसान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 8% हो गया था।

इतालियन न्यूज़ एजेंसी अदनक्रोनोस ने दावा किया था कि अल-कायदा के कमांडर अयमान अल-जवाहिरी ने अक्टूबर 2007 में इस हत्या (political assassination) का आदेश दिया था।

लेकिन अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने इस दावे की पुष्टि नहीं की।

8. मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या (Assassination of Martin Luther King Jr.)

नागरिक अधिकार आंदोलन के प्रमुख नेता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर एक अफ्रीकी-अमेरिकी पादरी थे।

वे अहिंसा और सविनय अवज्ञा के उपयोग के लिए जाने जाते थे।

1950 के दशक के मध्य से ही नागरिक अधिकार आंदोलन में प्रमुखता के कारण मार्टिन लूथर किंग को जान से मारने (assassination) की धमकी मिलती रहती थी।

उन्होंने सिखाया कि हत्या समान अधिकारों के संघर्ष को नहीं रोक सकती।

1963 में राष्ट्रपति कैनेडी की हत्या के बाद, किंग ने अपनी पत्नी, कोरेटा स्कॉट किंग से कहा –

“मेरे साथ भी यही होने वाला है। मैं आपको बताता रहता हूं, यह एक बीमार समाज है।”

गुरुवार, 4 अप्रैल 1968 को किंग मेम्फिस के लोरेन मोटल के कमरे 306 में ठहरे हुए थे।

जब उनपर गोली चली तो किंग रूम 306 के सामने बालकनी की रेलिंग पर झुके हुए थे और पादरी जेसी जैक्सन के साथ बात कर रहे थे।

शाम 6:01 बजे किंग के चेहरे पर रेमिंगटन राइफल से गोली चलाई गई।

उनके सहयोगी एंड्रयू यंग को पहले लगा कि किंग मर चुके हैं लेकिन उनकी सांसें चल रही थीं।

किंग को सेंट जोसेफ अस्पताल ले जाया गया लेकिन शाम 7:05 बजे उनकी मृत्यु हो गई।

गोली चलने के बाद गवाहों ने एक आदमी को लोरेन मोटल के पास एक कमरे से भागते हुए देखा।

यह व्यक्ति जेम्स अर्ल रे था।

(most famous assassins in history)

पुलिस को उसके कमरे से राइफल और दूरबीन मिली जिस पर उसकी उँगलियों के निशान थे।

दुनिया भर में तलाशी अभियान के कारण दो महीने बाद लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर जेम्स अर्ल रे गिरफ्तार किया गया।

10 मार्च, 1969 को उसे मार्टिन लूथर किंग जूनियर की पहली डिग्री की हत्या (assassination) के लिए दोषी ठहराया गया।

famous assassins
Martin Luther King Jr

परिणाम (Riots after assassination)

इस हत्या (assassination) के बाद 100 से अधिक शहरों में राष्ट्रव्यापी दंगे भड़क उठे।

8 अप्रैल को, किंग की विधवा कोरेटा स्कॉट किंग और उनके चार छोटे बच्चों ने किंग का सम्मान करने और शहर के काले सफाई कर्मचारियों के समर्थन के लिए मेम्फिस की सड़कों पर अनुमानित 40,000 की भीड़ का नेतृत्व किया।

मेम्फिस शहर ने सफाई कर्मचारियों की अनुकूल शर्तों पर हड़ताल को जल्दी से सुलझा लिया।

मार्टिन लूथर किंग के गृहनगर अटलांटा, जॉर्जिया में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

इसका प्रसारण राष्ट्रीय स्तर पर टेलीविजन पर किया गया था।

अटलांटा की सड़कों पर 5.6 किमी लम्बी उनकी शव यात्रा में 100,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया।

पत्रकारों ने बताया कि बहुत से गोरे भी इस महान नेता की मौत (assassination) से दुखी थे।

सार्वजनिक हस्तियों ने किंग की मृत्यु के बाद उनकी प्रशंसा की।

हत्यारे रे ने 10 मार्च 1969 को हत्या की बात कबूल की।

उसने संभावित मौत की सजा से बचने के लिए दोषी याचिका स्वीकार की।

उसे 99 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन तीन दिन बाद ही उसने अपना कबूलनामा वापस ले लिया।

23 अप्रैल, 1998 को 70 वर्ष की आयु में जेम्स अर्ल रे की जेल में बीमारी के कारण मृत्यु हो गयी।

7. यित्ज़ाक राबिन की हत्या (Assassination of Yitzhak Rabin)

4 नवंबर 1995 को इज़राइल में तेल अवीव के किंग्स स्क्वायर में आयोजित एक शांति रैली में भाग लेने के बाद इज़राइली प्रधान मंत्री यित्ज़ाक राबिन की गोली मारकर हत्या (assassination) कर दी गई थी।

यिगल अमीर नामक एक इजरायली व्यक्ति ने प्रधान मंत्री यित्ज़ाक राबिन के ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर और शांति पहल का विरोध करते हुए यह हत्या (assassination) की।

दक्षिणपंथी रूढ़िवादी और लिकुड नेता ओस्लो शांति प्रक्रिया को दुश्मनों के प्रति समर्पण मानते थे।

यिगल अमीर राबिन की शांति पहल, विशेष रूप से ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर का कड़ा विरोध करता था।

उसे लगता था कि वेस्ट बैंक से इजरायल की वापसी यहूदियों को उनकी “बाइबिल की विरासत को अस्वीकार कर देगी जिसे उन्होंने बस्तियों की स्थापना करके पुनः प्राप्त किया था”।

शांति रैली के बाद यित्ज़ाक राबिन सिटी हॉल से बाहर आकर अपनी कार की ओर चल पड़े।

जैसे ही वह कार में दाखिल हुए अमीर पीछे से कार के पास पहुंचा और उसने बेरेटा 84एफ सेमी-ऑटोमैटिक पिस्टल से राबिन पर दो गोलियां चलाईं।

राबिन के पेट और सीने में गोलियां लगीं।

अमीर को राबिन के अंगरक्षकों और पुलिस ने मौके पर ही पकड़ लिया।

इस संघर्ष में उसने अंगरक्षक योरम रुबिन पर तीसरी गोली चलाई, जिससे वह घायल हो गया।

यित्ज़ाक राबिन के शरीर से बहुत अधिक खून बह रहा था।

उन्हें तुरंत तेल अवीव के इचिलोव अस्पताल ले जाया गया।

डॉक्टरों के बहुत प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।

रात 11:02 बजे डॉक्टरों ने राबिन को मृत घोषित कर दिया। मरते समय राबिन की जेब में खून से सने हुए कागज़ पर प्रसिद्ध इज़राइली गीत “शिर लाशालोम” (“शांति के लिए गीत”) लिखा हुआ मिला।

political assassination in history
Yitzhak Rabin

परिणाम (Grief after assassination)

अमीर ने पुलिस के सामने अपना अपराध स्वीकार किया।

राबिन की मृत्यु के बारे में बताये जाने पर अमीर ने खुशी व्यक्त की।

पुलिस अधिकारियों ने हर्ज़लिया में उसके घर पर छापा मारा इस अपराध में शामिल उसके भाई हागई को भी गिरफ्तार किया।

हत्या (recent assassination) के दो दिन बाद 6 नवंबर को यरूशलेम के माउंट हर्ज़ल कब्रिस्तान में यित्ज़ाक राबिन का अंतिम संस्कार किया गया।

लगभग 80 राष्ट्राध्यक्षों सहित विश्व के सैकड़ों नेता अंतिम संस्कार में शामिल हुए।

यिगल अमीर पर राबिन की हत्या (assassination), जबकि उसके भाई हागई अमीर और ड्रोर अदानी पर साजिश में साथ देने के लिए मुकदमा चलाया गया।

यिगल अमीर को आजीवन कारावास और योरम रुबिन को घायल करने के लिए अतिरिक्त छह साल की सजा सुनाई गई।

अदानी को सात साल जबकि हागई अमीर को 12 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।

राबिन की हत्या (assassination) इजरायली जनता के लिए एक झटका थी।

उनके सम्मान में किंग्स ऑफ इज़राइल स्क्वायर का नाम बदलकर राबिन स्क्वायर रख दिया गया।

इज़राइल के भीतर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अन्य सड़कों और सार्वजनिक भवनों का नाम भी राबिन के नाम पर रखा गया था।

6. इंदिरा गाँधी की हत्या (Assassination of Indira Gandhi)

भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने 1 और 8 जून 1984 के बीच ऑपरेशन ब्लू स्टार का आदेश दिया था।

यह भारतीय सैन्य अभियान पंजाब के अमृतसर में हरमंदिर साहिब परिसर की इमारतों से उग्रपंथी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके अनुयायियों को हटाने के लिए किया गया था।

इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के 83 जवान हताहत, 236 घायल हुए और 554 सिख आतंकवादी मारे गए थे।

पवित्र गुरूद्वारे और दोनों पक्षों की जानमाल की क्षति के कारण भारत सरकार की व्यापक आलोचना हुई।

ऑपरेशन के बाद इंदिरा गाँधी के ऊपर हमले का खतरा बढ़ गया था।

(most famous assassination)

जिसके कारण इंटेलिजेंस ब्यूरो ने उनके निजी अंगरक्षकों में से सिखों को हटा दिया था।

लेकिन इंदिरा गाँधी का मानना था कि इससे जनता के बीच उनकी सिख विरोधी छवि मजबूत होगी और उनके राजनीतिक विरोधी इसका लाभ उठायेंगे।

उन्होंने अपने सिख अंगरक्षकों को बहाल करने का आदेश दिया।

जिसमें बेअंत सिंह भी शामिल था, जो उनका पसंदीदा था।

31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गाँधी सुबह लगभग 9:20 बजे अपने निवास नंबर 1 सफदरजंग रोड से अपने कार्यालय 1 अकबर रोड पैदल जा रही थीं।

उनके साथ कांस्टेबल नारायण सिंह, निजी सुरक्षा अधिकारी रामेश्वर दयाल और निजी सचिव आर. के. धवन भी थे।

जैसे ही इंदिरा गाँधी गेट पर पहुंची सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने उनपर गोलियां चला दीं।

बेअंत सिंह ने अपनी .38 रिवॉल्वर से उसके पेट में तीन फायर किए। (assassination)

फिर सतवंत सिंह ने स्टर्लिंग सबमशीन गन से उनपर 30 राउंड फायर किए।

इंदिरा गाँधी को सुबह 9:30 बजे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली ले जाया गया।

जहां डॉक्टरों ने उनका ऑपरेशन किया और दोपहर 2:20 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

most famous assassination
Indira Gandhi

परिणाम (Anti-sikh riots after assassination)

गोलियां चलाने के बाद दोनों सुरक्षाकर्मियों ने ने अपने हथियार नीचे फेंक दिए।

बेअंत सिंह ने कहा, “मुझे जो करना था, मैंने किया। तुम वही करो जो तुम करना चाहते हो।”

अगले छह मिनट में सीमा पुलिस अधिकारियों ने बेअंत सिंह को पकड़कर मार डाला।

जबकि सतवंत सिंह को अपने एक अन्य साथी के साथ भागने की कोशिश करते हुए गिरफ्तार कर लिया।

इस प्रयास में वह बुरी तरह घायल हो गया था।

6 जनवरी 1989 को सतवंत सिंह को उसके साथी केहर सिंह के साथ फांसी दी गई थी।

3 नवंबर को 1984 को इंदिरा गाँधी का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।

इस हत्या (assassination) के बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे।

यह दंगे कई दिनों तक चले।

केवल दिल्ली में ही 3000 से अधिक सिखों की हत्या की गयी। (assassination)

भारत के 40 शहरों में अनुमानित 8000 – 17000 या इससे भी अधिक निर्दोष सिख मारे गए।

कम से कम 50,000 सिख विस्थापित हुए।

दंगाई लोहे की छड़ें, चाकू, केरोसिन और पेट्रोल लेकर घूम रहे थे।

उन्होंने सिख बाहुल्य इलाकों में जाकर सिखों को मार डाला और दुकानों और घरों को नष्ट कर दिया।

INC और उसके हमदर्दों ने कथित तौर पर हिंसा का नेतृत्व किया गया था।

नरसंहार के बाद दिल्ली में कई सिख युवक उग्रवादी समूहों में शामिल हो गए और इसमें पंजाब कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ सदस्यों की हत्या भी शामिल थी।

31 जुलाई 1985 को, खालिस्तान कमांडो फोर्स ने दंगों के प्रतिशोध में कांग्रेस पार्टी के नेता और सांसद ललित माकन और अर्जन दास की हत्या कर दी।

इतने साल बीतने के बाद भी सभी दोषियों को सजा नहीं मिल पायी है।

5. ज़ार निकोलस द्वितीय की हत्या (Assassination of Tsar Nicholas II)

16-17 जुलाई 1918 की रात को येकातेरिनबर्ग, रूस में रूसी इंपीरियल रोमानोव परिवार (सम्राट निकोलस II, उनकी पत्नी महारानी एलेक्जेंड्रा और उनके पांच बच्चे: ओल्गा, तातियाना, मारिया, अनास्तासिया और एलेक्सी) को बोल्शेविक क्रांतिकारियों ने गोली मारकर मौत (assassination) के घाट उतार दिया था।

निकोलस II रूस का अंतिम सम्राट था जिसने 1 नवंबर 1894 से 15 मार्च 1917 तक शासन किया।

उन्होंने विदेशी ऋणों और फ्रांस के साथ घनिष्ठ संबंधों के आधार पर आधुनिकीकरण की वकालत की, लेकिन संसद को प्रमुख भूमिका देने का विरोध किया।

रोमानोव की हत्या का मतलब रूस में शाही शासन का अंत था।

देश में राजशाही समाप्त हो गयी और जोसेफ स्टालिन के नेतृत्व में कम्युनिस्ट राज्य की स्थापना हो गयी।

22 मार्च 1917 के दिन जन क्रांति के बाद निकोलस को सम्राट के पद से अपदस्थ कर दिया गया था।

उन्हें और उनके परिवार को एक घर में कैद कर दिया गया।

उनका सब सामान जब्त कर लिया गया था और हर तरह की सुविधाऐं छीन ली गयीं।

29 जून को यूराल क्षेत्रीय सोवियत ने एक बैठक में फैसला किया कि रोमानोव परिवार को मार (assassination) डाला जाना चाहिए।

17 जुलाई की आधी रात को रोमानोव परिवार को जागने और उन्हें अपने कपड़े पहनने का आदेश दिया गया।

कुछ मिनट बाद गुप्त पुलिस का एक दस्ता आया और रोमानोव को यूराल कार्यकारी समिति का आदेश सुनाया गया।

“निकोलाई अलेक्जेंड्रोविच, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि आपके रिश्तेदार सोवियत रूस पर अपने हमले जारी रखे हुए हैं, यूराल कार्यकारी समिति ने आपको मारने (assassination) का फैसला किया है।”

(famous assassins in history)

इसके बाद हत्यारों ने बेतरतीब ढंग से गोलियां चलाई और सबको मार दिया।

political assassination
Tsar Nicholas II

परिणाम (End of Monarchy)

जल्लादों को संगीनों का उपयोग करने का आदेश दिया गया और बच्चों के सिर में गोली मारने के लिए कहा गया।

मरने वालों में तातियाना, अनास्तासिया और मारिया सबसे अंतिम थीं।

उनके कपड़ों में 1.3 किलोग्राम से अधिक हीरे सिले हुए थे जिससे उन्हें फायरिंग से सुरक्षा मिली थी।

लेकिन उन्हें भी संगीनों से मार (assassination) दिया गया था।

यह नरसंहार लगभग 20 मिनट तक चला।

मरने के बाद शवों की तलाशी लेकर कीमती सामान निकाल लिए गए।

रोमानोव परिवार के साथ उनके नौकरों को भी मार दिया गया था।

शाही परिवार और उनके नौकरों के शवों को फिएट ट्रक पर लाद कर एक सुनसान जगह पर ले जाया गया।

उन सबके कपड़े उतारकर जला दिए गए और कपड़ों में छिपे हुए हीरों को निकाल लिया गया।

नग्न शवों को एक खदान में फेंक कर पहचान विकृत करने के लिए उनपर सल्फ्यूरिक एसिड डाला गया।

चूँकि गड्ढा सिर्फ 9 फ़ीट गहरा था, इसीलिए उन्होंने उस में हथगोले फेंक कर मिटटी और पत्तियों से ढक दिया।

अगली सुबह जब रोमानोव परिवार के बारे में अफवाहें फैलीं, तो उन शवों को वहां से हटाकर कहीं और गाड़ दिया गया।

19 जुलाई की दोपहर को ओपेरा हाउस में घोषणा की कि “निकोलस” को गोली मार दी गई थी और उसके परिवार को दूसरी जगह ले जाया गया था।

बोल्शेविकों द्वारा इन हत्याओं (assassination) के बाद 84 दिनों के अंदर रोमानोव परिवार के 27 दोस्तों और रिश्तेदारों की हत्या भी कर दी गई।

4. अब्राहम लिंकन की हत्या (Assassination of Abraham Lincoln)

14 अप्रैल, 1865 को संयुक्त राज्य अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या (assassination) प्रसिद्ध मंच अभिनेता जॉन विल्क्स बूथ ने की थी।

वे वाशिंगटन डीसी में फोर्ड थिएटर में नाटक देख रहे थे, तभी बूथ ने उनके सिर में गोली मार दी।

(famous assassinations in history)

19 वीं शताब्दी में अश्वेत गुलामों के मुद्दे पर दक्षिणी और उत्तरी अमेरिका के राज्यों में दरार आने लगी।

जॉन विल्क्स बूथ कॉन्फेडरेट से सहानुभूति रखता था।

उसने और उसके कई सहयोगियों ने राष्ट्रपति का अपहरण करने और उन्हें कॉन्फेडरेट राजधानी रिचमंड ले जाने की साजिश रची।

20 मार्च 1865 को बूथ का अब्राहम लिंकन का अपहरण का प्रयास विफल हो गया था।

इसके दो हफ्ते बाद कॉन्फेडरेट* सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया तो हताश बूथ ने और भी अधिक भयावह योजना बनाई।

* (कॉन्फेडरेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका 11 राज्यों का एक समूह था जो 1860 में राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के चुनाव के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका से अलग हो गया था)

(political assassinations in history)

उसका और उसके सह-साजिशकर्ताओं का मानना ​​​​था कि लिंकन, उपराष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन और राज्य सचिव विलियम एच सीवार्ड की एक साथ हत्या अमेरिकी सरकार को अव्यवस्थित कर देगी।

14 अप्रैल, 1865 की शाम को लिंकन अपने पत्नी के साथ फोर्ड थिएटर में नाटक देखने पहुंचे।

10:15 बजे, बूथ राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के प्राइवेट बॉक्स में घुसा और उसने अपनी .44-कैलिबर सिंगल-शॉट डेरिंगर पिस्तौल से लिंकन के सिर के पिछले हिस्से में गोली मार दी।

राष्ट्रपति अपनी कुर्सी पर लुढ़क गए, लकवाग्रस्त हो गए और सांस लेने के लिए संघर्ष करने लगे।

उन्हें उपचार के लिए एक बोर्डिंगहाउस में ले गए।

अंत में, लिंकन को 56 वर्ष की आयु में 15 अप्रैल, 1865 की सुबह 7:22 बजे मृत घोषित कर दिया गया।

top 10 assassination in american history
Abraham Lincoln

परिणाम (The enf of an era)

राष्ट्रपति लिंकन को गोली मारने (assassination) के बाद बूथ मंच पर कूद गया।

पहले दर्शकों ने समझा कि यह नाटक का भाग है।

हालांकि मंच पर कूदने से बूथ का पैर टूट गया था लेकिन वह घोड़े पर चढ़कर वहां से भागने में सफल रहा।

राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को ध्वज से लिपटे हुए ताबूत में रखकर व्हाइट हाउस ले जाया गया।

राष्ट्रपति की मृत्यु (assassination) की खबर चारों तरफ फैल गयी।

(top 10 assassinations in American history)

गृहयुद्ध के अंत से आनन्दित लोगों के लिए ये चौंकाने वाली खबर थी।

देश भर के झंडे आधे झुका दिए गए और व्यवसाय बंद कर दिए गए थे।

तीन दिन बाद उनके अवशेषों को ट्रेन से स्प्रिंगफील्ड, इलिनोइस ले जाया गया, जहां वे राष्ट्रपति बनने से पहले रहते थे।

हजारों अमेरिकियों ने रेल मार्ग पर लाइन लगाई और अपने शहीद नेता को सम्मान दिया।

राष्ट्र शोक में डूबा हुआ था और सैनिक जॉन विल्क्स बूथ की खोज में लगे थे।

राजधानी से भागने के बाद वह अपने साथी डेविड हेरोल्ड के साथ दक्षिणी मैरीलैंड की ओर चल पड़ा।

रास्ते में बूथ ने डॉक्टर सैमुअल मड से टूटे पैर का इलाज करवाया।

26 अप्रैल को सैनिकों ने वर्जीनिया खलिहान को घेर लिया जहां बूथ और हेरोल्ड छिपे हुए थे।

हेरोल्ड ने आत्मसमर्पण कर दिया लेकिन बूथ को फायरिंग में गोली लग गयी।

बूथ को बाहर निकला गया और वह तीन घंटे तक जीवित रहा।

बूथ के चार सह-साजिशकर्ताओं को हत्या (assassination) में भाग लेने के लिए दोषी ठहराया गया और 7 जुलाई, 1865 को फांसी पर लटका दिया गया।

जॉन विल्क्स बूथ की खोज इतिहास की सबसे बड़ी खोज में से एक थी, जिसमें 10,000 सैनिकों, जासूसों और पुलिस ने हत्यारे को ट्रैक किया था।

3. महात्मा गांधी की हत्या (Assassination of Mahatma Gandhi)

नई दिल्ली के बिरला हाउस में 30 जनवरी 1948 को 78 वर्ष की आयु में मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या (assassination) की गयी थी।

उनका हत्यारा (famous assassin) नाथूराम विनायक गोडसे एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन हिंदू महासभा का सदस्य था।

गोडसे का मानना था कि गाँधी भारत विभाजन के दौरान मुसलमानों के प्रति अधिक संवेदनशील थे।

भारत और पाकिस्तान के नए निर्माण और उनके बीच जनसंख्या के स्थानान्तरण ने स्थिति को गंभीर कर दिया था।

गांधी पंजाब में हिंसक दंगों को रोकने में मदद करने के लिए दिल्ली आ गए थे।

1948 में गोडसे और उनके सहयोगियों ने गांधी की हत्या (assassination) की योजना भारत और पाकिस्तान के कश्मीर युद्ध के समय बना ली थी।

भारत सरकार ने पाकिस्तान को दिए जाने वाला धन रोका हुआ था क्योंकि उन्हें लगता था कि पाकिस्तान इसका उपयोग युद्ध में करेगा।

लेकिन गांधी ने इस फैसले का विरोध किया और पाकिस्तान को भुगतान करने का दबाव बनाने के लिए 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन पर चले गए।

भारत सरकार ने गांधी के सामने झुकते हुए अपने फैसले को उलट दिया।

जिस दिन गांधी भूख हड़ताल पर गए, गोडसे और उनके सहयोगियों ने गांधी की हत्या (assassination) करने की योजना बनाना शुरू कर दिया।

उन्होंने एक पिस्टल खरीदा और गांधी की गतिविधियों पर नजर रखने लगे।

30 जनवरी 1948 को शाम 5 बजे बिरला हाउस में जब गाँधी प्रार्थना सभा में आने लगे।

गोडसे भीड़ से निकलकर गांधी जी के रास्ते में आ गया।

वह गाँधी जी के पैर छूने के लिए झुका और फिर खड़े होकर उनके सीने और पेट में तीन गोलियां दाग दीं।

गांधी जी की मौके पर ही मौत हो गई थी लेकिन एक पत्रकार ने बताया कि गांधी जी को वापस बिड़ला हाउस ले जाया गया, जहां लगभग 30 मिनट बाद उनकी मृत्यु हुई।

top assassinations in history
Mahatma Gandhi

परिणाम (Loss of a great man)

बिड़ला हाउस में गांधी की हत्या (assassination) का पहला प्रयास 20 जनवरी 1948 को किया गया था।

नाथूराम गोडसे और उसके साथी गाँधी जी के पीछे उस पार्क में गए जहाँ वे लोगों को सम्बोधित कर रहे थे।

उनमें से एक ने भीड़ से दूर एक ग्रेनेड फेंका।

धमाके से भीड़ में भगदड़ मच गयी और मंच पर गांधी जी अकेले रह गए।

दूसरा हथगोला फेंकना था लेकिन उसके साथी दिगंबर बैज ने घबराकर दूसरा ग्रेनेड नहीं फेंका और भीड़ के साथ भाग गया।

मदनलाल पाहवा को छोड़कर बाकी सब साजिशकर्ता भाग गए।

उसे गिरफ्तार कर लिया गया और वह 1964 में जेल से छूटा।

गाँधी जी की हत्या (assassination) करने के बाद गोडसे ने भागने की कोशिश नहीं की।

वह चुपचाप गिरफ्तार होने की प्रतीक्षा में खड़ा रहा।

पहले तो कोई उसके पास नहीं आया क्योंकि उसके पास पिस्तौल थी।

अंत में भारतीय वायु सेना के एक सदस्य ने उसे कलाई से पकड़ लिया और गोडसे ने अपना हथियार छोड़ दिया।

गांधी जी के निधन पर पूरे विश्व में शोक मनाया गया।

पांच मील लंबे अंतिम संस्कार के जुलूस में बीस लाख से अधिक लोग शामिल हुए।

बिड़ला हाउस से राज घाट तक पहुंचने में पांच घंटे लगे।

हिन्दू रीति से उनका अंतिम संस्कार किया गया।

गोडसे और अन्य साथियों को भी गिरफ्तार किया गया था।

मुकदमा 27 मई 1948 को शुरू हुआ और 10 फरवरी 1949 को न्यायमूर्ति आत्म चरण ने अपना आदेश पारित किया।

नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सजा और शेष छह (गोडसे के भाई गोपाल सहित) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

गोडसे और आप्टे को 15 नवंबर 1949 को अंबाला जेल में फांसी दे दी गई थी।

2. जॉन कैनेडी की हत्या (Assassination of John F Kennedy)

संयुक्त राज्य अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन फिट्जगेराल्ड कैनेडी की डलास, टेक्सास में शुक्रवार, 22 नवंबर, 1963 को दोपहर 12:30 बजे हत्या (assassination) कर दी गई थी।

(Top 10 assassinations in American history)

कैनेडी, अमेरिका के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपतियों में से एक थे।

जॉन एफ कैनेडी या JFK अपोलो 11 की सफलता के लिए जनता में बहुत लोकप्रिय हुए थे।

हत्या का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है, क्योंकि हत्यारे ली हार्वे ओसवाल्ड के पास हत्या (assassination) का कोई कोई स्पष्ट कारण नहीं था।

ली हार्वे ओसवाल्ड एक भूतपूर्व अमेरिकी मरीन था।

जॉन एफ कैनेडी की मृत्यु के बाद, कई षड्यंत्र के सिद्धांतों को सामने रखा गया।

इसमें USSR, माफिया, उपराष्ट्रपति जॉनसन, क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो, KGB आदि का नाम शामिल था।

यह सब इसलिए था क्योंकि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि कैनेडी की हत्या के पीछे क्या मकसद था।

यह उन हत्याओं में से एक है जो आज भी एक रहस्य बनी हुई है।

22 नवंबर, 1963 को ओपन-टॉप 1961 लिंकन कॉन्टिनेंटल फोर-डोर कन्वर्टिबल लिमोसिन ने दोपहर 12:30 बजे डेली प्लाजा में प्रवेश किया।

इस कार में कैनेडी अपनी पत्नी जैकलीन, टेक्सास के गवर्नर जॉन कॉनली और कॉनली की पत्नी नेल्ली के साथ थे।

जैसे ही यह कार टेक्सास स्कूल बुक डिपोजिटरी की बिल्डिंग के पास से निकली, अचानक तीन गोलियों के चलने की आवाज सुनाई दी।

राष्ट्रपति जॉन कैनेडी और गवर्नर जॉन कॉनली को गोलियां लगी थीं।

जॉन कैनेडी के काफिले को पार्कलैंड मेमोरियल अस्पताल ले जाया गया और 30 मिनट बाद मृत घोषित कर दिया गया।

जॉन कॉनली इस घटना में बच गए।

गोलीबारी के 70 मिनट बाद डलास पुलिस विभाग ने ली हार्वे ओसवाल्ड को गिरफ्तार कर लिया था।

टेक्सास राज्य के कानून के तहत ओसवाल्ड पर कैनेडी की हत्या (Top assassination in history) का आरोप लगाया गया था।

world famous leaders
John F Kennedy

परिणाम (Biggest unsolved mystry)

जॉन कैनेडी के शरीर को वापस वाशिंगटन, डी.सी. ले जाया गया।

ताबूत को देखने के लिए दिन-रात हजारों की संख्या में लोग लाइन में लगे रहे।

25 नवंबर को राजकीय अंतिम संस्कार में 90 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

अंतिम प्रार्थना के बाद, कैनेडी को वर्जीनिया की अर्लिंग्टन नेशनल सेमेट्री में दफनाया गया।

डलास पुलिस विभाग को बुक डिपॉजिटरी बिल्डिंग की छठी मंजिल पर एक खुली खिड़की के पास एक मैनलिचर-कारकैनो राइफल और गोलियों के तीन खोल मिले थे।

हत्या के बाद पुलिस ने डेली प्लाजा में हुई गोलीबारी में एक संदिग्ध के रूप में उसका विवरण प्रसारित किया।

पुलिस अधिकारी जे. डी. टिपिट ने ओसवाल्ड को फुटपाथ पर चलते हुए देखा और शक होने पर उसे अपनी कार के पास बुलाया।

उसी समय ओसवाल्ड ने टिपिट को चार गोली मारी और वहां से भाग गया।

ओसवाल्ड पर कैनेडी और टिपिट की हत्या (assassination) का आरोप लगाया गया था।

रविवार, 24 नवंबर को सुबह 11:21 बजे ओसवाल्ड को काउंटी जेल ले जाया जा रहा था।

उसी समय डलास नाइट क्लब के मालिक जैक रूबी ने उसे गोली मार दी।

इस कार्यवाही का अमेरिकी टेलीविजन पर सीधा प्रसारण हो रहा था।

बेहोश ओसवाल्ड को एम्बुलेंस द्वारा पार्कलैंड मेमोरियल अस्पताल ले जाया गया, जहां दो दिन पहले कैनेडी की मृत्यु (assassination) हुई थी।

दोपहर 1:07 बजे उनका निधन हो गया।

नाइट क्लब के मालिक जैक रूबी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।

रूबी ने कहा कि वह कैनेडी की मौत से व्याकुल था और ओसवाल्ड की हत्या “मिसेज कैनेडी को मुकदमे में आने की बेचैनी” से बचाएगी।

10 महीने की जांच के बाद, वॉरेन आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि ओसवाल्ड ने कैनेडी की हत्या में पूरी तरह से अकेले काम किया था, और रूबी ने ओसवाल्ड को मारने में अकेले काम किया था।

1. आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या (Assassination of Archduke Franz Ferdinand)

ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी सोफी की 28 जून 1914 को बोस्नियाई सर्ब के छात्र गैवरिलो प्रिंसिप द्वारा हत्या (assassination) कर दी गई थी।

गैवरिलो प्रिंसिप छह बोस्नियाई हत्यारों (assassins) के समूह का हिस्सा था।

हत्या का राजनीतिक उद्देश्य ऑस्ट्रिया-हंगेरियन शासन से बोस्निया को मुक्त कराना और दक्षिण स्लाव (“यूगोस्लाव”) राज्य की स्थापना करना था।

इस हत्या (assassination) के कारण ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर युद्ध की घोषणा की और प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत हुई।

फ्रांज फर्डिनेंड अपनी पत्नी सोफी के साथ बोस्निया और हर्जेगोविना के ऑस्ट्रो-हंगेरियन प्रांत में यात्रा पर गए थे।

28 जून सर्बियाई इतिहास में एक काली तारीख थी।

इसने सर्बियाई राष्ट्रवादियों के बीच असंतोष की आग को हवा दी।

शाही जोड़ा एक खुली कार में बैठकर अपने काफिले के साथ जा रहा था।

सुबह लगभग 10 बजे हमलावरों में से एक नेडजेल्को कैब्रिनोविक ने शाही जोड़े की कार पर एक ग्रेनेड फेंका।

बम उछलकर कार के पीछे फटा, जिससे पिछली कार में सवार लोग घायल हुए और दर्शकों को छर्रे लगे।

साजिशकर्ता अभी भी वहां मौजूद थे।

सिटी हॉल में कार्यक्रम पूरा करने के बाद जब शाही काफिला सड़क के किनारे रुका, तो 19 वर्षीय गैवरिलो प्रिंसिप ने इस अवसर का लाभ उठाया।

वह कार के पास गया और उसने फ्रांज फर्डिनेंड और सोफी दोनों को ब्राउनिंग पिस्तौल से गोली मार दी।

गोली चलने के बाद कार चालक ने चिकित्सकीय सहायता के लिए कार को दौड़ दिया।

रास्ते में सोफी और कुछ ही समय बाद फ्रांज फर्डिनेंड की भी मृत्यु हो गई।

प्रिंसिप ने खुद को गोली मारने की कोशिश की लेकिन राहगीरों ने उसे पकड़ लिया।

अंततः सभी षड्यंत्रकारियों को ढूंढ कर गिरफ्तार कर लिया गया।

famous assassinations in history
Archduke Franz Ferdinand

परिणाम (Beginning of WW-I)

ऑस्ट्रो-हंगेरियन अधिकारियों ने हत्यारों, एजेंटों और सहायता पहुँचाने वाले किसानों को गिरफ्तार किया और उन पर मुकदमा चलाया।

पांच लोगों को फांसी, एक को उम्रकैद और दस अन्य को जेल की सजा सुनाई गयी।

मुकदमे के दौरान, कैब्रिनोविक ने हत्याओं (assassinations) के लिए खेद व्यक्त किया था।

ऑस्ट्रियाई-हंगेरियन कानून के तहत अपराध के समय 20 वर्ष से कम आयु वालों को अधिकतम 20 वर्ष की सजा हो सकती थी।

अपनी कम उम्र के कारण प्रिंसिप और कैब्रिनोविक को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।

लेकिन इन दोनों की जेल में तपेदिक से मृत्यु हो गई।

हत्या (assassination) के कारण पूरे ऑस्ट्रिया-हंगरी में सर्ब विरोधी दंगे शुरू हो गए।

(political assassinations in history)

एक महीने बाद, 28 जुलाई को, ऑस्ट्रिया-हंगरी ने हत्याओं के कारण सर्बिया पर युद्ध की घोषणा कर की।

इससे दो धड़े बन गए।         

ऑस्ट्रिया-हंगरी, जर्मनी और इटली एक ओर और दूसरी तरफ रूस, फ्रांस और ब्रिटेन गोलबंद हो गए।

इस घटना ने इतिहास के सबसे घातक संघर्षों में से एक को जन्म दिया – प्रथम विश्व युद्ध।

इस युद्ध में लगभग 2 करोड़ (बीस मिलियन) लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी।

इतिहास में इससे कहीं अधिक जाने-माने और शक्तिशाली लोगों की हत्या हुई है।

लेकिन इस नासमझ और मूर्खतापूर्ण हत्या (assassination) के परिणाम बहुत भयावह निकले।

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