कभी-कभी गलती से या आकस्मिक श्रेष्ठ आविष्कारों (accidental inventions) की खोज हो जाती है। ऐसी गलतियों के लिए शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है। जो हमें एक त्रुटि लगती है, वही दुनिया को बदलने या कुछ नया बनाने का काम करती है।
लोग हमेशा नयी खोज में लगे रहते हैं, और कभी-कभी, आकस्मिक यह आपकी गोद में गिर जाती है। अक्सर हम यह विचार करते हैं कि कौन से आविष्कार संयोग से हो गए थे? या दुर्घटना ने किस आविष्कार को जन्म दिया? (What inventions were made by accident? Or what was invented on accident?)
कुछ आविष्कारक दुनिया की समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने के लिए अपना पूरा जीवन लगा देते हैं। लेकिन संयोगवश कुछ ऐसी खोज हो जाती है, जो एक मील का पत्थर साबित होती है।
इस लेख में कुछ ऐसे ही महत्वपूर्ण आकस्मिक अविष्कारों की सूची (accidental inventions list) और इन अविष्कारों के पीछे की कहानी (stories behind inventions and discoveries) के बारे में बताया गया है, जिससे लोगों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आया।
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माइक्रोवेव ओवन (Microwave Oven)
इलेक्ट्रिक ओवन को ही माइक्रोवेव ओवन कहते हैं, और इसे आम बोलचाल में माइक्रोवेव भी कहा जाता है।
माइक्रोवेव विद्युत् चुम्बकीय विकिरण से भोजन को गर्म करता और पकाता है।
1934 से ही इस सिद्धांत पर शोध हो रहा था कि हाई फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रिक फ़ील्ड्स का उपयोग हीटिंग के लिए कैसे किया जाए।
1937 और 1940 के बीच, ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी सर जॉन टर्टन रान्डेल ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स और राडार के विकास के लिए मल्टी-कैविटी मैग्नेट्रोन विकसित किया।
अमेरिकी सरकार ने मैग्नेट्रोन बनाने का ठेका रेथियॉन कंपनी को दिया।
माइक्रोवेव ओवन का आकस्मिक आविष्कार (Accidental Inventions of Microwave Oven)
रेथियॉन कंपनी के लिए काम करने वाले इंजीनियरों में से एक पर्सी स्पेंसर भी था।
वह उस समय के रडार ट्यूब डिजाइन करने वाले अग्रणी विशेषज्ञों में से एक था।
1945 में, जब वह रडार सेट पर काम कर रहा था तो उसने देखा कि उसकी जेब में रखा चॉकलेट बार पिघल रहा था।
इस तरह की घटना (inventions by accident) को नोटिस करने वाले वह पहला व्यक्ति नहीं था, लेकिन इससे प्रभावित होने वाला पहला व्यक्ति जरूर बना।
उसने माइक्रोवेव में पॉपकॉर्न और अंडे रखे तो वे फट गए।
फिर उसने भोजन पर सुरक्षित और नियंत्रित प्रयोग किये।
8 अक्टूबर 1945 को माइक्रोवेव कुकिंग ओवन का पेटेंट कराया गया।
रेथियॉन द्वारा बनाया गया पहला माइक्रोवेव ओवन 1947 में बाजार में आया।
इसकी ऊंचाई 1.8 मीटर और वजन 340 किलोग्राम था।
उस समय इसकी कीमत 5,000 डॉलर थी।
आने वाले सालों में इसकी कीमत कम होती गयी और 1986 तक 25% अमेरिकी घरों में यह पहुँच चूका था।
1996 तक तो इस आकस्मिक आविष्कार (accidental inventions) का उपयोग 90% घरों में होने लगा।
टेफ्लान (Teflon)
पॉलीटेट्राफ्लोराइथिलीन (PTFE) टेट्राफ्लोराइथिलीन का सिंथेटिक Fluoropolymers है, जिसके कई उपयोग होते हैं।
आमतौर पर PTFE-आधारित वस्तुओं का ब्रांड नाम टेफ्लान है।
इसका उपयोग पैन और अन्य कुकवेयर के लिए नॉन-स्टिक कोटिंग के रूप में किया जाता है।
इसके साथ ही यह सर्जिकल उपकरणों में भी लगता है।
टेफ्लान का आकस्मिक आविष्कार (Accidental Inventions of Teflon)
रॉय जे प्लंकेट ने 1938 में ड्यूपॉन्ट कंपनी की जैक्सन लेबोरेटरी में टेफ्लॉन का आविष्कार किया था।
दूसरे पॉलिमर उत्पादों के विपरीत यह एक आकस्मिक आविष्कार (accidental inventions) था।
डॉ. रॉय जे. प्लंकेट लेबोरेटरी में रेफ्रिजरेंट से संबंधित गैसों पर काम कर रहे थे।
पॉलीटेट्राफ्लोराइथिलीन (PTFE) के जमे हुए सफेद, मोमी, ठोस नमूने की जाँच करने के बाद उनको लगा कि कुछ अप्रत्याशित खोज (accidental creations) हो गयी है।
एयरोस्पेस, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक प्रक्रियाओं और वास्तुकला के लिए PTFE एक क्रांतिकारी खोज (best accidental inventions) साबित हुई।
1945 में Teflon™ ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत होते ही यह एक परिचित ब्रांड बन गया।
अपने नॉनस्टिक गुणों के लिए यह दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है।
वैज्ञानिकों ने PTFE के आविष्कार (accidental inventions) को “गंभीरता, प्रतिभा और एक भाग्यशाली दुर्घटना – या तीनों का मिश्रण” के रूप में वर्णित किया है।
PTFE (accidental inventions) ने प्लास्टिक उद्योग में क्रांति ला दी और मानव जाति को लाभ पहुंचाने वाले असीमित अनुप्रयोगों को जन्म दिया।
(Accidental inventions that changed the world)
दुनिया भर में वैज्ञानिक, शैक्षणिक और नागरिक समुदायों ने प्लंकेट को उनके योगदान के लिए मान्यता दी है।
टेफ्लान के बारे में अधिक जानने के लिए – https://www.teflon.com/en/news-events/history
एक्स-रे (X-Ray)
इतिहास में हुई आकस्मिक खोजें (accidental inventions) मानव जाति के लिए वरदान रही हैं।
एक्स-रे का आविष्कार भी ऐसा ही एक आकस्मिक आविष्कार (accidental discoveries) है।
जब तक यह आविष्कार नहीं हुआ था, तब तक चिकित्सक टूटी हड्डियों और मांसपेशियों का उपचार अनुमान से करते थे।
यह एक प्रकार का रेडिएशन है जिसे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स कहा जाता है।
इसकी इमेजिंग आपके शरीर के अंदर की तस्वीरें खींचती है।
यह आपके शरीर के अंगों को काले और सफेद रंग के विभिन्न रंगों में दिखाती है।
एक्स-रे का उपयोग फ्रैक्चर (टूटी हुई हड्डियों) की जांच करना है।
लेकिन इसका उपयोग निमोनिया, स्तन कैंसर आदि का पता लगाने के लिए भी किया जाता है।
एक्स-रे का आकस्मिक आविष्कार (Accidental Inventions of X-Ray)
8 नवंबर, 1895 को, भौतिक विज्ञानी विल्हेम कॉनराड रॉन्टगन जर्मनी के वुर्जबर्ग में अपनी प्रयोगशाला में कैथोड रे पर काम कर रहे थे।
इस प्रयोग के दौरान उन्होंने फ्लोरोसेंट ट्यूब के अंदर एक गैस भरी और पाया कि बहुत अधिक विद्युत् वोल्टेज के संपर्क में आने पर इसमें से बहुत चमक और रोशनी निकली।
उन्होंने इन अज्ञात चमकदार किरणों को एक्स-रे नाम दिया।
अधिक अध्ययन करने पर उन्होंने पाया कि इन किरणों के सामने हाथ रखने पर त्वचा के भीतर की हड्डियां दिखाई दे रही थीं।
यह आकस्मिक आविष्कार (accidental inventions) दुनिया का पहला एक्स-रे था।
इस आविष्कार ने वैज्ञानिक समुदाय और जनता के बीच भी हलचल मचा दी थी।
रॉन्टगन ने अपना आविष्कार वुर्जबर्ग फिजिकल-मेडिकल सोसाइटी को सौंप दिया।
उनके आविष्कार (things invented by accidents) को स्पष्ट रूप से एक चिकित्सा चमत्कार माना जाता था।
1901 में भौतिक विज्ञानी विल्हेम कॉनराड रॉन्टगन को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वे नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भौतिक विज्ञानी थे।
पहले किसी को भी संदेह नहीं था कि नया विकिरण खतरनाक हो सकता है।
लेकिन 1897 में, एक्स-रे के संपर्क में आने के कारण त्वचा में जलन, बालों का झड़ना और कैंसर जैसे प्रभाव सामने आये।
इसीलिए डॉक्टरों ने उचित सावधानी के साथ इलाज करना शुरू कर दिया।
बहरहाल, पूरी मानव जाति को इस अप्रत्याशित सफल आविष्कार (unexpected successful inventions) की सराहना करनी चाहिए।
सैकरीन – कृत्रिम स्वीटनर (Saccharin – Artificial Sweetener)
कृत्रिम स्वीटनर सैकरीन भविष्य का उत्तम भोजन है।
इन्हें उगाने के लिए किसी भूमि की आवश्यकता नहीं है, और न ही धुआं उगलने वाली रिफाइनरियों की आवश्यकता होती है।
कृत्रिम स्वीटनर सैकरीन एक जीरो कैलोरी स्वीटनर है।
यह सुक्रोज की तुलना में लगभग 300-500 गुना अधिक मीठा होता है।
सैकरीन का उपयोग पेय, कैंडी, कुकीज और दवाओं जैसे उत्पादों को मीठा करने के लिए किया जाता है।
इस पदार्थ की आकस्मिक खोज (accidental inventions) पहली बार 1879 में शोधकर्ता कॉन्स्टेंटिन फाहलबर्ग ने की थी।
सैकरीन के सेवन से मधुमेह रोगियों को लाभ हो सकता है क्योंकि यह पदार्थ बिना पचे सीधे पाचन तंत्र में चला जाता है।
सैकरीन का आकस्मिक आविष्कार (Accidental Inventions of Saccharin)
1870 के दशक में, रसायनज्ञ कॉन्स्टेंटिन फहलबर्ग, जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में इरा रेमसेन की प्रयोगशाला में काम करते थे।
रेमसेन की टीम कोल-टार पर प्रयोग कर रही थी, कि वह फॉस्फोरस, क्लोराइड, अमोनिया और अन्य रसायनों के साथ कैसे प्रतिक्रिया करता है।
एक रात, फहलबर्ग घर लौट कर खाना खाने लगे तो उनको वह मीठा लगा।
उनको समझ आ गया कि खाना मीठा नहीं है, बल्कि उनके हाथों में कोई रसायन लगा हुआ है।
फहलबर्ग प्रयोगशाला ने निकलते समय हाथ धोना भूल गए थे।
वह रेमसेन प्रयोगशाला में वापस गए और उन्हें वह स्रोत मिल गया।
उन्होंने इस प्रसिद्ध आकस्मिक खोज (famous inventions that were accidents) को सैकरीन नाम दिया, लेटिन में जिसका अर्थ शुगर होता है
1884 में, फहलबर्ग ने कई देशों में पेटेंट के लिए आवेदन किया।
दो साल बाद, उन्होंने जर्मनी में मैगडेबर्ग के एक उपनगर में इस आकस्मिक खोज (accidental inventions) का उत्पादन शुरू किया और जल्द ही अमीर हो गए।
आजकल लोग लैब से निकलने से पहले अच्छी तरह से हाथ धोते हैं।
यदि फहलबर्ग ने स्वच्छता के सामान्य नियमों का पालन किया होता, तो शायद आज दुनिया इस शून्य-कैलोरी कृत्रिम स्वीटनर के बिना होती।
पेनिसिलिन (Penicillin)
पेनिसिलिन एक एंटीबायोटिक है, जो आपके शरीर में बैक्टीरिया से लड़ता है।
यह अभी भी सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक एजेंटों में से एक है, जो पेनिसिलियम मोल्ड से प्राप्त होता है।
इसका उपयोग बैक्टीरिया के कारण होने वाले अलग-अलग प्रकार के संक्रमणों के उपचार में किया जाता है।
लेकिन यह वायरल संक्रमण (जैसे सर्दी और फ्लू) पर काम नहीं करती है।
विभिन्न प्रकार के उपचार के लिए विभिन्न प्रकार के पेनिसिलिन का उपयोग किया जाता है।
पेनिसिलिन को पहली बार 1928 में खोजा (accidental creations) गया था और अब यह दुनिया में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला एंटीबायोटिक है।
पेनिसिलिन का आकस्मिक आविष्कार (Accidental Inventions of Penicillin)
1928 में पेनिसिलिन की खोज का श्रेय स्कॉटिश शोधकर्ता सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग को जाता है।
उस समय, फ्लेमिंग लंदन के सेंट मैरी अस्पताल की प्रयोगशाला में इन्फ्लूएंजा वायरस पर प्रयोग कर रहे थे।
फ्लेमिंग को एक लापरवाह लैब तकनीशियन के रूप में वर्णित किया जाता है।
Things that were invented by accidents.
एक बार फ्लेमिंग दो सप्ताह की छुट्टी के बाद अपने लैब में लौटे।
उन्होंने देखा कि गलती (inventions that were mistakes) से दूषित स्टैफिलोकोकस कल्चर प्लेट पर एक फफूंद विकसित हो गया था।
उसकी जांच करने पर, उन्होंने पाया कि जीवाणुओं की वृद्धि ने स्टेफिलोकोसी के विकास को रोका हुआ था।
इस आकस्मिक खोज (accidental inventions) पर लगातार शोध होता रहा और 14 साल बाद इंजेक्शन के माध्यम से देने वाली दवा का निर्माण हो पाया।
पहली बार अमेरिका में 1942 में ऐनी मिलर नामक रोगी का पेनिसिलिन द्वारा सफलतापूर्वक इलाज किया गया था।
फ्लेमिंग का कहना था: “कभी-कभी कोई वह पाता है जिसकी उसे तलाश नहीं होती है। जब मैं 28 सितंबर, 1928 को सुबह उठा, तो निश्चित रूप से मैंने दुनिया की पहली एंटीबायोटिक की खोज करके दवाओं में क्रांति लाने की योजना नहीं बनाई थी। लेकिन मुझे लगता है कि मैंने वही किया था।”
आज, पेनिसिलिन दुनिया में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला एंटीबायोटिक बन गया है।
वियाग्रा (Viagra)
सिल्डेनाफिल, जिसे वियाग्रा ब्रांड नाम से बेचा जाता है, इरेक्टाइल डिसफंक्शन के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है।
वियाग्रा (सिल्डेनाफिल) रक्त वाहिकाओं की दीवारों में पाई जाने वाली मांसपेशियों को आराम देती है और शरीर के विशेष क्षेत्रों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है।
1989 में फाइजर कंपनी ने मूल रूप से हृदय में दर्द के इलाज की दवा की तलाश में इसकी आकस्मिक खोज (accidental inventions) की थी।
वियाग्रा के साथ उपयोग करने पर कुछ दवाऐं अवांछित या खतरनाक प्रभाव पैदा कर सकती हैं।
इसका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर को अपनी सभी मौजूदा दवाओं के बारे में जरूर बतायें।
वियाग्रा का आकस्मिक आविष्कार (accidental Inventions of Viagra)
कभी कभी वैज्ञानिक समस्या A का समाधान खोजने की कोशिश कर रहे होते हैं, लेकिन समस्या B के समाधान की आकस्मिक खोज (accidental inventions) हो जाती है।
ठीक ऐसा ही मानव जाति की सबसे प्रिय दवा वियाग्रा के मामले में हुआ, जो स्तंभन दोष का इलाज करती है।
1989 में, इंग्लैंड के केंट में फाइजर के अनुसंधान केंद्र के रसायनज्ञ उच्च रक्तचाप और अवरुद्ध धमनियों के कारण सीने में दर्द के इलाज के लिए एक नई दवा खोजने के लिए शोध (accidental innovation) कर रहे थे।
एक नया यौगिक बनाया गया जिसे सिल्डेनाफिल नाम दिया गया, और पुरुषों के एक समूह पर इसका परीक्षण किया गया।
यह प्रयोग विफल रहा और हृदय की कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ।
जब यह प्रयोग बंद होने के कगार पर था, तब एक असामान्य साइड इफेक्ट की सूचना मिली थी।
परीक्षणों से गुजरने वाले पुरुषों को इरेक्शन का अनुभव होने लगा।
सिल्डेनाफिल लिंग में रक्त वाहिकाओं को फैला रहा था, जिससे इरेक्शन हो रहा था।
कंपनी ने स्तंभन दोष पर इसके प्रभावों के लिए दवा का परीक्षण शुरू किया।
अगले 3 वर्षों की अवधि में, 1993 से 1996 तक, विभिन्न आयु समूहों के 3000 से अधिक रोगियों को शामिल करते हुए कुल 21 परीक्षण किए गए।
सभी परीक्षणों ने सकारात्मक परिणाम दिखाया।
1996 में, कंपनी ने अपनी इस जादुई खोज (products invented by accidents) का पेटेंट कराया और 27 मार्च 1998 को वियाग्रा को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया था।
सेफ्टी ग्लास (Safety Glass)
अतिरिक्त सुरक्षा सुविधाओं वाले सेफ्टी ग्लास के टूटने की संभावना कम होती है, या टूटने पर खतरा कम होने की संभावना होती है।
इसका आविष्कार (accidental inventions) 1903 में फ्रांसीसी रसायनज्ञ एडौर्ड बेनेडिक्टस द्वारा किया गया था।
सेफ्टी ग्लास एक प्रकार का ग्लास होता है जिसे इस तरह से बनाया जाता है कि अगर यह टूट जाए तो चोट लगने की संभावना कम होती है।
टेम्पर्ड ग्लास सेफ्टी ग्लास के सबसे प्रसिद्ध रूपों में से एक है।
सेफ्टी ग्लास को लैमिनेटेड, एनग्रेव्ड और वायर मेश से भी बनाया जा सकता है।
टेम्पर्ड ग्लास का उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है।
जैसे यात्री वाहन की खिड़कियां, शॉवर दरवाजे, वास्तुशिल्प कांच के दरवाजे और टेबल, रेफ्रिजरेटर ट्रे, बुलेटप्रूफ ग्लास के घटक, डाइविंग मास्क, और विभिन्न प्लेट और कुकवेयर के प्रकार।
सेफ्टी ग्लास का आकस्मिक आविष्कार (Accidental Inventions of Safety Glass)
सेफ्टी ग्लास का आविष्कार (accidental creations) फ्रांसीसी एडौर्ड बेनेडिक्टस ने किया था।
1903 में एक दिन, जब वह अपनी प्रयोगशाला में काम कर रहे थे, तो गलती से बेनेडिक्टस ने अपने डेस्क से कांच का फ्लास्क गिरा दिया।
वह फ्लास्क छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर बिखरने के बजाय अपना रूप बनाए रखते हुए बस टूट गया।
बेनेडिक्टस ने जांच करने पर पाया कि उस फ्लास्क में एक समय में प्लास्टिक सेलुलोज नाइट्रेट रखा हुआ था।
इस रसायन ने सूखकर कांच के अंदर एक लेप का काम किया।
जिसके कारण कांच सामान्य रूप से टूटकर बिखरने से बच गया।
इस आकस्मिक खोज (made by accident) से वह शैटर प्रूफ ग्लास बनाने के लिए प्रेरित हुआ।
उसने कांच की दो परतों के बीच सेल्युलाइड की एक परत लगाकर इस सेफ्टी ग्लास को बनाया।
इसमें और सुधार करने के बाद उसने 1909 में अपने लैमिनेटेड ग्लास (accidental inventions) को पेटेंट कराया।
ऑटोमोबाइल निर्माताओं ने इस सेफ्टी ग्लास को तुरंत नहीं अपनाया।
लेकिन WW-I में इसका उपयोग गैस मास्क में किया जा रहा था।
1927 से ऑटोमोबाइल विंडशील्ड में लैमिनेटेड सेफ्टी ग्लास का इस्तेमाल होने लगा।
सेफ्टी ग्लास में टफेंस ग्लास, लैमिनेटेड ग्लास और वायर मेश ग्लास शामिल हैं।
वायर मेश ग्लास का आविष्कार (inventions made by accident) फ्रैंक शुमन ने किया था।
प्ले डोह (Play Dough)
बच्चों द्वारा विभिन्न आकारों को बनाने के लिए उपयोग में लाये जाने वाले यौगिक मिश्रण को प्ले डोह कहते हैं।
विश्व प्रसिद्ध इस उत्पाद की खोज (accidental inventions) भी आकस्मिक थी।
यह एक रचनात्मक उपकरण है जिसे हर कोई पसंद करता है।
बच्चों के लिए अनगिनत मौज-मस्ती के अलावा, प्ले डोह से खेलने के बहुत फायदे हैं।
इससे बच्चे शांत रहते हैं।
यह बच्चों में कौशल और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है।
प्ले डोह का आकस्मिक आविष्कार (Accidental Inventions of Play Dough)
प्ले डोह वास्तव में एक आकस्मिक खोज (accidental inventions) थी।
1930 के दशक में, नोह मैकविकर अपने परिवार की साबुन कंपनी कुटोल प्रोडक्ट्स के लिए काम करता था।
उसने आटे, पानी, नमक और कई अन्य सामग्रियों से बना पोटीन जैसा एक नए तरह का वॉलपेपर क्लीनर बनाया।
मैकविकर का क्लीनर वॉलपेपर के लिए उत्कृष्ट था।
इसमें कोई जहरीला रसायन नहीं था।
इसका पुन: उपयोग भी किया जा सकता था।
हालांकि, उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि इसका एक और फायदा है।
शिक्षकों को स्कूल में वॉलपेपर क्लीनर का उपयोग करने का एक नया तरीका मिल गया।
उन्होंने महसूस किया कि कला और शिल्प आकारों को बनाने के लिए यह बहुत अच्छा था।
वास्तव में, यह मिट्टी की तरह एक मॉडलिंग कंपाउंड के रूप में काम करता था।
Funny inventions that changed the world.
वर्षों बाद, नोह मैकविकर के भतीजे जोसेफ मैकविकर ने देखा शिक्षक कला और शिल्प के लिए वॉलपेपर क्लीनर का उपयोग कर रहे थे।
जोसेफ ने उत्पाद को एक नया नाम दिया – Play-Doh® और उसने इसे स्कूलों और डिपार्टमेंट स्टोर्स में बेचना शुरू कर दिया।
नया उत्पाद (accidental inventions) एक बड़ी सफलता थी।
इसका नुस्खा एक रहस्य है।
यह आकस्मिक आविष्कार (inventions that were accidents) अब एक विश्वव्यापी फ्रैंचाइज़ी में विकसित हो गया है।
मूल रूप से 1956 में केवल सफेद रंग में उपलब्ध प्ले डोह अब विभिन्न रंगों में उपलब्ध है।
पेसमेकर (Pacemaker)
दिल की धड़कन को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए पेसमेकर को छाती में लगाया जाता है।
इसका उपयोग हृदय को बहुत धीमी गति से धड़कने से रोकने के लिए किया जाता है।
छाती में पेसमेकर लगाने के लिए एक ऑपरेशन करना पड़ता है।
पेसमेकर को कार्डियक पेसिंग डिवाइस भी कहा जाता है।
विल्सन ग्रेटबैच द्वारा बनाया गया पेसमेकर एक आकस्मिक आविष्कार (accidental inventions) था।
पेसमेकर का आकस्मिक आविष्कार (Accidental Inventions of Pacemaker)
1956 में, इंजीनियर विल्सन ग्रेटबैच दिल की धड़कन की लय को रिकॉर्ड करने के लिए कुछ बनाने का प्रयास कर रहे थे।
इस रिकॉर्डर को बनाते समय उन्होंने एक गलत इलेक्ट्रॉनिक घटक इसमें लगा दिया।
जिससे यह उपकरण दिल की धड़कन की आवाज़ को रिकॉर्ड करने के बजाय इलेक्ट्रॉनिक पल्स का उत्पादन करने लगा।
ग्रेटबैच को यह पल्स एक स्वस्थ हृदय की ध्वनि के समान लगी।
वे समझ गए कि यह आकस्मिक आविष्कार (accidental inventions) अस्वस्थ हृदय को लय में रहने में मदद कर सकता है।
सबसे पहले, इसका परीक्षण कुत्तों पर किया गया, फिर कुछ सुधारों के बाद 1957 में इसका परिक्षण मनुष्यों पर किया गया था।
पहला पेसमेकर 1960 में एक मानव रोगी में प्रत्यारोपित किया गया था।
1961 में, लगभग 100 लोग इस नए उपकरण (accidental inventions) का उपयोग कर रहे थे।
आज, दुनिया में लगभग 30 लाख से अधिक लोगों ने पेसमेकर लगाया हुआ है।
ग्रेटबैच का आविष्कार 20वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण आविष्कारों में से एक था, जिसने लाखों लोगों को नए सिरे से जीवन प्रदान किया।
सुपर ग्लू (Super Glue)
लगभग किसी भी चीज को तत्काल चिपकाने वाले पदार्थ को सुपर ग्लू कहते हैं।
इसका औद्योगिक नाम साइनोएक्रिलेट एडहेसिव है।
सुपर ग्लू अन्य प्रकार के ग्लू की तुलना में बहुत तेजी से जोड़ता या चिपकाता है।
यह मात्र कुछ ही सेकण्ड्स में किसी भी वस्तु को चिपका देता है।
सुपर ग्लू को विशेष रूप से धातु, सिरेमिक, चमड़ा, रबर, विनाइल, प्लास्टिक और कई समान सतहों को तुरंत और मजबूती से जोड़ने के लिए बनाया गया है।
इसका आकस्मिक आविष्कार (accidental inventions) 1942 में डॉ. हैरी कूवर द्वारा किया गया था।
सुपर ग्लू का आकस्मिक आविष्कार (Accidental Inventions of Super Glue)
मनुष्य द्वारा बनाए गए सबसे सरल उत्पादों में से एक है सुपर ग्लू।
फिर भी इसकी खोज विशुद्ध रूप से आकस्मिक (accidental inventions) थी।
1942 में, डॉ हैरी कूवर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ट्रांसपेरेंट प्लास्टिक का उपकरण बनाने का प्रयास कर रहे थे।
उन्होंने जो प्लास्टिक बनाया वो तो सफल नहीं रहा लेकिन वो चीजों को जोड़ने में उत्कृष्ट काम करता था।
उस समय उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि वो दूसरे प्रोजेक्ट में व्यस्त थे।
इसके 9 साल बाद 1951 में डॉ. कूवर की दूसरी आकस्मिक खोज (accidental inventions) से आधुनिक सुपर ग्लू का निर्माण हुआ।
कूवर ने “सुपर ग्लू” की क्षमता का एहसास किया और अपने आविष्कार (accidental inventions) के साथ आगे बढ़े।
1958 में, सुपर ग्लू ने बाजार में प्रवेश किया।
अमेरिका में बनाया गया, सुपर ग्लू जल्दी ही प्रसिद्ध हो गया और 1970 के दशक तक सभी 7 महाद्वीपों तक पहुंच गया था।
वस्तुओं को जोड़ने के अलावा भी सुपर ग्लू के अनगिनत उपयोग हैं।