Con Man (कॉन मैन) – एक ऐसा व्यक्ति जो किसी का विश्वास हासिल करके उसे धोखा देता है और उसे कुछ ऐसा मानने के लिए राजी करता है, जो सच नहीं होता।
“कॉन आर्टिस्ट” या “कॉन मैन” (conartists) शब्द अमेरिकी इतिहास के शुरुआती धोखेबाजों में से एक, विलियम थॉम्पसन से जुड़ा है। वह सड़क चलते लोगों को फुसलाकर उनका कीमती सामान ले लेता था। थॉम्पसन लोगों के बीच “कॉन्फिडेंस मैन” के रूप में जाना जाता था, जिसे छोटा कर “कॉन मैन” (con man) कहा जाने लगा।
लगभग सभी कॉन मैन (con man) आकर्षक व्यक्तित्व के होते हैं। चिकनी-चुपड़ी बातें करने के अलावा ये अपनी पहचान भी बदलते हैं।
ऐसा माना जाता है कि आज लोग अधिक सतर्क हैं। लेकिन ठगना अब बीते दिनों की बात नहीं है। आज के इंटरनेट युग में भी स्पैम ईमेल और कैटफ़िशिंग कैंपेन के रूप में घोटाले होते रहते हैं।
इस लेख में आपको कुछ कुख्यात (Famous con men) “कॉन आर्टिस्ट” या “कॉन मैन” के बारे में जानकारी (List of cons) मिलेगी। जिनके कारनामों के बारे में जानकार आप आश्चर्यचकित रह जायेंगे। इनमें से अधिकतर के ऊपर तो हॉलीवुड में फिल्में (con movies Hollywood) भी बनी हैं।
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चार्ल्स पोंज़ी (Charles Ponzi) (Con Man)

3 मार्च, 1882 को इटली में जन्मा चार्ल्स पोंज़ी, एक मशहूर ठग और कॉन मैन (con man) था।
चार्ल्स पोंज़ी संपन्न परिवार से था, लेकिन गलत संगत के कारण पढ़ाई पूरी ना कर सका।
उसने अमेरिका जाकर भविष्य बनाने का निश्चय किया।
15 नवंबर, 1903 को पोंजी बोस्टन पहुँचा तो उसकी जेब में सिर्फ 2.50 डॉलर थे, बाकी पैसे वह रास्ते में जूए में हार चूका था।
उसने अंग्रेजी सीखी और छोटे मोटे काम करने लगा।
1907 में वह कनाडा चला गया और बैंक में नौकरी करने लगा।
पोंजी (Biggest con artist) ने अपने व्यक्तित्व को बदला और धाराप्रवाह अंग्रेजी, इतालवी और फ्रेंच बोलने लगा।
बैंक में काम करते हुए उसने पैसे बनाने की एक ठगी की स्कीम के बारे में सोचा।
जनवरी 1920 में, पोंजी (Most famous con artists) ने “सिक्योरिटीज एक्सचेंज कंपनी” शुरू की।
उसने ग्राहकों को 45 दिनों के भीतर 50% या 90 दिनों के भीतर 100% लाभ का वादा किया।
पहले महीने में, 18 लोगों ने उनकी कंपनी में कुल $1,800 का निवेश किया।
अगले महीने उसने नए इन्वेस्टर्स से मिले पैसे से पहले निवेशकों का तुरंत भुगतान कर दिया।
लोगों को पता चलता गया और निवेश तेजी से बढ़ा।
उसकी स्कीम एक साल से अधिक समय तक चली, जिसमें “निवेशकों” की लागत $20 मिलियन (2022 में 258 मिलियन डॉलर) थी।
यह फ्रॉड उसके नाम के साथ जुड़ गया और आज भी इस तरह की धोकाधड़ी को “पोंजी स्कीम” कहते हैं।
चार्ल्स पोंज़ी (Famous scam artist) के ऊपर ठगी के बहुत सारे मुक़दमे चले।
1934 में पोंजी को रिहा किया गया और इटली निर्वासित करने का आदेश दिया गया।
पोंजी (con man) ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष गरीबी में बिताए।
18 जनवरी 1949 को एक चैरिटेबल हॉस्पिटल में उसकी मृत्यु हो गयी।
चार्ल्स पोंज़ी के जीवन पर कई डाक्यूमेंट्री और मूवी बनी हैं।
विक्टर लस्टिग (Victor Lustig) (Con Man)

जनवरी 4, 1890 को ऑस्ट्रिया-हंगरी में जन्मा विक्टर लस्टिग एक अत्यधिक कुशल कॉन मैन (con man) था।
उसे दुनिया के कुख्यात कॉन मैन (con men) में से एक माना जाता है।
असाधारण तेज दिमाग, शानदार व्यक्तित्व और पांच भाषाओं का ज्ञानी विक्टर लस्टिग (greatest con artist ever) युवावस्था से ही अपराध (famous fraudsters) में लिप्त हो गया था।
प्रथम विश्व युद्ध से पहले वह समुद्री जहाजों के अमीर यात्रियों को संगीत निर्माता बन कर लूटता था।
1925 में उसने पेरिस के एक अखबार में एफेल टॉवर के रखरखाव में आने वाली समस्याओं के बारे में पढ़ा।
यहीं से उसे ठगी का नया उपाय सूझा।
उसने स्क्रैप मेटल डीलरों के समूह को एक महंगे होटल में गोपनीय बैठक के लिए आमंत्रित किया।
वहां उसने स्वयं को डाक और टेलीग्राफ मंत्रालय के डिप्टी डायरेक्टर के रूप में प्रस्तुत किया और बताया कि फ़्रांसिसी सरकार एफेल टॉवर के महंगे रखरखाव के कारण उसे गोपनीय रूप से बेचना चाहती है।
इस झांसे में आकर पॉइसन नामक व्यापारी ने लस्टिग को बड़ी रिश्वत दी।
रिश्वत के पैसे और एफेल टॉवर की बिक्री की रकम लेकर लस्टिग ऑस्ट्रिया भाग गया।
इसी तरह उसने एफेल टॉवर को दुबारा भी बेचा।
लस्टिग के सबसे उल्लेखनीय घोटालों (best con) में से एक है बॉक्स बेचना।
उसका दावा था कि किसी भी देश की मुद्रा को इस बॉक्स से डुप्लीकेट बनाया जा सकता है।
उसने टेक्सास के शेरिफ समेत बहुत से लोगों को यह बॉक्स बेचा।
उसने (world’s greatest con man) अपने घोटालों का शिकार माफिया डॉन अल कपोन को भी बनाया।
1935 में उसकी प्रेमिका ने बेवफाई का बदला लेने के लिए पुलिस को खबर कर दी।
विक्टर लस्टिग (con man) को बीस साल की जेल हुई।
9 मार्च 1947 को, जेल में लुस्टिग की निमोनिया से मृत्यु हो गयी।
फ्रैंक एबेग्नेल (Frank Abagnale)

27 अप्रैल, 1948 को अमेरिका में जन्मा फ्रैंक विलियम एबेग्नेल जूनियर एक अमेरिकी लेखक और सजायाफ्ता कॉन मैन (con man) है।
फ्रैंक एबेग्नेल (biggest scam artist) ने 1970 के दशक में सहायक स्टेट अटॉर्नी जनरल, चिकित्सक, प्रोफेसर और पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज में पायलट बनकर लोगों को ठगा।
उसके (biggest con man in US history) अनुसार उसने 15 वर्ष की आयु में ठगी का पहला शिकार अपने पिता को बनाया था।
17 वर्ष की आयु तक वह छोटे बड़े अपराधों के लिए कई बार गिरफ्तार हुआ।
1968 में फ्रैंक ने एक TWA पायलट का भेष बदला और ठगी शुरू कर दी।
अमेरिका में, 22 वर्षीय फ्रैंक ने पैन एम के पायलट की वर्दी पहनी और एयर होस्टेस की भर्ती के लिए ठगी करने लगा।
फ्रैंक एबेग्नेल (biggest scam artists) ने अलग अलग शहरों के बैंकों में जाली चेक जमा कराकर लाखों डॉलर की ठगी की।
1971 में उसे जाली चेक फ्रॉड के लिए दस साल की सजा सुनाई गई थी।
1974 में एबेग्नेल को पैरोल पर रिहा कर दिया गया।
एबेग्नेल के अनुसार, उसने 1975 में एक बैंक से संपर्क किया।
उसने बैंक को समझाया कि उसने क्या किया है और वह बैंक के कर्मचारियों को धोके से बचने की विभिन्न तरकीबें बताएगा।
इस तरह उसने एक स्पीकर और सुरक्षा सलाहकार के रूप में नया करियर शुरू किया।
1980 में, एबेग्नेल ने अपने जीवन पर एक किताब “Catch Me If You Can” लिखी।
जिस पर इसी नाम से स्टीवन स्पीलबर्ग द्वारा निर्देशित और अभिनेता लियोनार्डो डिकैप्रियो द्वारा अभिनीत फिल्म (best con man movies) बनायी गई।
फ्रैंक एबेग्नेल ने चार अन्य पुस्तकें भी लिखी हैं और वह एबेग्नेल एंड एसोसिएट्स नाम से एक कंसल्टेंसी फर्म भी चलाता है।
बर्नी मैडॉफ़ (Bernie Madoff)

इतिहास की सबसे बड़ी लगभग 64.8 बिलियन डॉलर की पोंजी स्कीम चलाने वाला बर्नार्ड लॉरेंस मैडॉफ़ एक अमेरिकी कॉन मैन (con man) और फाइनेंसर था।
एक समय वह NASDAQ स्टॉक एक्सचेंज का अध्यक्ष और समाज का प्रतिष्ठित व्यक्ति था।
एक साधारण परिवार में जन्मे मैडॉफ़ (Greatest cons of all time) ने छोटे मोटे काम करके कुछ पूँजी जमा की और 1960 में एक पैनी स्टॉक ब्रोकरेज की स्थापना की, जो बाद में बर्नार्ड एल मैडॉफ इन्वेस्टमेंट सिक्योरिटीज के रूप में विकसित हुई।
इस कंपनी में उसका भाई पीटर मैडॉफ़ और उसकी बेटी शाना मैडॉफ और बर्नी के दोनों बेटे मार्क और एंड्रयू काम करते थे।
ये सभी उसकी पोंज़ी स्कीम से अनजान थे।
10 दिसंबर, 2008 को पता चलने पर, मैडॉफ के बेटों मार्क और एंड्रयू ने अधिकारियों को बताया कि उनकी फर्म एक विशाल पोंजी स्कीम है।
अगले दिन, FBI के एजेंटों ने मैडॉफ को गिरफ्तार कर लिया।
12 मार्च 2009 को, मैडॉफ़ (Biggest con man in American History) ने अपने धन प्रबंधन व्यवसाय को एक विशाल पोंजी योजना में बदलने की बात स्वीकार की।
मैडॉफ (con man) के घोटाले ने हजारों निवेशकों को अरबों डॉलर का चूना लगाया।
29 जून 2009 को, मैडॉफ (biggest con in history) को 150 साल की सजा सुनाई गई।
14 अप्रैल, 2021 को किडनी रोग से पीड़ित होने के बाद, उत्तरी कैरोलिना में फेडरल मेडिकल सेंटर में उनका निधन हो गया।
उसके भाई पीटर को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
बर्नी मैडॉफ़ के बेटे मार्क ने अपने पिता की गिरफ्तारी के ठीक दो साल बाद 2010 में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
उसके दूसरे बेटे एंड्रयू की 3 सितंबर, 2014 को लिम्फोमा से मृत्यु हो गई।
बर्नी मैडॉफ़ के ऊपर “The Wizard Of Lies” नाम से फिल्म भी बनी है।
जॉर्ज सी. पार्कर (George C. Parker)

अमेरिकी कॉन मैन (con man) जॉर्ज सी. पार्कर ब्रुकलिन ब्रिज को बार बार बेचने के लिए कुख्यात था।
यह मशहूर कॉन मैन (best con man) लोगों को वो सम्पत्तियाँ बेचता था, जो उसकी होती ही नहीं थीं।
न्यूयॉर्क शहर में आयरिश माता-पिता के घर जन्मा पार्कर सिर्फ हाई स्कूल पास था।
पार्कर लोगों को ठगने के लिए कई छद्म नामों का प्रयोग करता था।
ब्रुकलिन ब्रिज बेचने के अलावा यह कुख्यात कॉन मैन (biggest con) मैडिसन स्क्वायर गार्डन, मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट, ग्रांट्स टॉम्ब और स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी को भी बेच चूका था।
हर बार ठगी के लिए अलग अलग तरीकों का उपयोग करता था।
जैसे ग्रांट्स टॉम्ब बेचने के लिए वह जनरल का पोता बन गया और फर्जी कागजात दिखा कर सौदा कर लिया।
वह कई मशहूर नाटकों और शो को भी बेच देता था।
इस कॉन मैन को तीन बार धोखाधड़ी का दोषी ठहराया गया था।
1908 में एक बार गिरफ्तार होने के बाद, वह कोर्ट रूम में टंगे शेरिफ की टोपी और ओवरकोट को पहनकर आराम से टहलता हुआ वहां से भाग गया था।
17 दिसंबर, 1928 को चौथी बार पकड़े जाने पर इस कॉन मैन (biggest con) को सिंग सिंग जेल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
उसने अपनी जिंदगी के आखिरी आठ साल वहीँ बिताये।
जेल में ही उसकी मृत्यु हो गयी।
पार्कर को अमेरिका के सबसे सफल कॉन मैन (famous cons) के रूप में याद किया जाता है।
जॉर्ज सी. पार्कर के ब्रुकलिन ब्रिज बेचने के बारे में कई किस्से मशहूर हैं।
अक्सर ठगे गए लोग ब्रुकलिन ब्रिज का मालिक बनने के बाद टोल बूथ बनाने के लिए पहुँच जाते थे।
जहाँ से उन्हें पुलिस भगा देती थी।
सोपी स्मिथ (Soapy Smith) (Con Man)

जेफरसन रैंडोल्फ “सोपी” स्मिथ II अमेरिका के वाइल्ड वेस्ट का कुख्यात कॉन मैन (con man) और गैंगेस्टर था।
जेफरसन स्मिथ का जन्म 2 नवंबर, 1860 को जॉर्जिया के एक धनी परिवार में हुआ था।
उसके दादा जमींदार और पिता वकील थे।
स्मिथ के 17 साल की उम्र में अपराध का रास्ता चुनते हुए घर छोड़ दिया था।
स्मिथ टेक्सास आ गया और वहां उसने ठगी और लूटपाट करने के लिए अपना गैंग बना लिया।
उसके ठगी के गिरोह (con-men) को सोप गैंग कहते थे।
स्मिथ का सबसे प्रसिद्ध कॉन (famous swindlers in history) को डेनवर के अखबारों ने “प्राइज सोप रैकेट” नाम दिया था।
वह बाजार के किसी कोने में साबुन का ढेर लगा कर खड़ा हो जाता था।
वह भीड़ को कहता था कि एक डॉलर में साबुन खरीदकर आप इनाम जीत सकते हैं।
तभी उसका एक साथी साबुन खरीदकर उसमें से निकला इनाम दिखाता था और सब साबुन खरीदने लगते थे।
एक बार इस स्कैम के लिए गिरफ्तार किये जाने पर पुलिस मैन ने नाम याद न होने के कारण उसका नाम “सोपी स्मिथ” लिख दिया।
तब से वह “सोपी स्मिथ” के रूप में जाना जाने लगा।
उसका गैंग अलग अलग शहरों में जाकर ठगी करता था।
इसके साथ ही उसने कई शहरों में जूए के अड्डे खोले और वह संगठित अपराध भी करने लगा।
सभी स्मिथ के तेज और हिंसक क्रोध से डरते थे।
अंडरवर्ल्ड बॉस के रूप में उस पर कई बार जानलेवा हमले भी हुए।
एक आपसी लड़ाई में सीने में गोली लगने से कॉन मैन (con man) स्मिथ की मौत हो गई।
सोपी स्मिथ के चरित्र को बहुत सी फिल्मों (movies about con men), टीवी सीरियल और किताबों में दिखाया गया है।
https://www.soapysmith.net/page26.html
https://en.wikipedia.org/wiki/Soapy_Smith#Legacy_and_portrayals
नटवरलाल (Natwarlal) (Con Man)

कॉन मैन की लिस्ट (scam artists list) में भारत के नटवरलाल का नाम भी बहुत प्रसिद्ध है।
स्टेशन मास्टर पिता के बेटे नटवरलाल (मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव) का जन्म बिहार के सिवान डिस्ट्रिक्ट में हुआ था।
नटवरलाल (famous con artist) को हाई-प्रोफाइल अपराधों और जेल से भागने के लिए जाना जाता था।
दस्तावेजों और हस्ताक्षरों को बनाने की उसकी क्षमता ने उसे एक सफल ठग बना दिया था।
1937 में नौ टन लोहे की चोरी के आरोप में उसकी पहली गिरफ्तारी हुई।
कहा जाता है कि नटवरलाल (professional con artists) ने सैकड़ों दुकान मालिकों, जौहरियों, बैंकरों और विदेशियों से लाखों रुपये ठगे।
नटवरलाल (con man) के हाई-प्रोफाइल अपराधों के लिए उसे अक्सर बड़ी सजा दी जाती थी।
अकेले बिहार में, नटवरलाल के ऊपर जालसाजी के 14 मामलों दर्ज हुए, जिनमें उसे 113 साल जेल की सजा सुनाई गई।
ऐसा माना जाता है कि बार-बार भागने के कारण, उसने अपने जीवन के केवल 20 साल जेल में बिताए।
नटवरलाल (famous scammers) को आखिरी बार 1996 में 84 साल की उम्र में गिरफ्तार किया गया था।
वृद्धावस्था और व्हीलचेयर के उपयोग के बावजूद वह 24 जून 1996 को इलाज के लिए जेल से अस्पताल ले जाते समय नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से भाग गया।
जिसके बाद उसे फिर कभी नहीं देखा गया।
2009 में, नटवरलाल के वकील ने अनुरोध किया कि उनके खिलाफ लंबित 100 से अधिक आरोपों को हटा दिया जाए, क्योंकि 25 जुलाई 2009 को उनकी मृत्यु हो गई है।
हालांकि, नटवरलाल के भाई ने दावा किया कि उसने 1996 में रांची में उसका अंतिम संस्कार किया था।
इस कारण से, उसकी मृत्यु की सटीक तिथि अनिश्चित है।
प्रसिद्ध ठग नटवरलाल (famous con artists) के ऊपर बहुत सी फिल्में (con man films) और डाक्यूमेंट्री सीरीज बनी हैं।
जोसफ वेइल (Joseph Weil)

अपने समय के सबसे प्रसिद्ध कॉन मैन (con man) जोसेफ “येलो किड” वेइल का जन्म 1 जुलाई, 1875 को शिकागो, अमेरिका में हुआ था।
वेइल के जीवनी लेखक, डब्ल्यू. टी. ब्रैनन ने वेइल के “मानव प्रकृति के विलक्षण ज्ञान” के बारे में लिखा है।
एक अफवाह दावा करती है कि 1889 में वेइल ने एक अमीर व्यक्ति को गोल्डन नगेट के बदले एक चिकन बेच दी थी।
इसी अफवाह से ‘चिकन नगेट’ शब्द की उत्पत्ति हुई है।
जोसफ वेइल ने जल्दी ही पढाई छोड़ दी थी और 17 वर्ष की आयु में सूदखोरों के लिए वसूली का काम करने लगा था।
1890 के दशक के दौरान वेइल कॉन मैन डॉक्टर मेरिवेदर (famous scam artists) के संरक्षण में ठगी करने लगा।
उसे उसका उपनाम “येलो किड” पहली बार 1903 में मिला जो कॉमिक “होगन्स एले एंड द येलो किड” से लिया गया था।
फ्रैंक होगन नामक कॉन मैन (con man) के साथ काम करने के कारण इस जोड़ी को कॉमिक के साथ जोड़ा गया, जिसमें होगन होगन था, और वेइल येलो किड बन गया।
अपने करियर के दौरान, वेइल ने बहुत से कॉन मैन (con men) के साथ काम किया।
जोसफ वेइल ने अपने जीवन में बहुत से ठगी के कारनामों को अंजाम दिया।
जैसे इतालवी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से 2 मिलियन डॉलर ठगना।
बोलने वाले कुत्तों को बेचना और तेल-समृद्ध भूमि को बेचना, जो उसके पास थी ही नहीं।
वेइल ने कोलोराडो में एक चांदी खदान से जुड़ी ठगी में मशहूर उद्योगपति एंड्रयू मेलन के भाई से 500,000 डॉलर ठगने का दावा भी किया था।
वेइल ने कुल छह साल जेल में बिताए।
1976 में जोसफ वेइल का शिकागो, इलिनोइस में 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
जोसफ वेइल की बायोग्राफी – https://www.amazon.com/Yellow-Kid-Weil-Autobiography-Americas/dp/1849350213
जॉर्डन बेलफ़ोर्ट (Jordan Belfort)

अमेरिका में जन्मा जॉर्डन रॉस बेलफ़ोर्ट एक उद्यमी, वक्ता, लेखक, पूर्व स्टॉकब्रोकर और सजायाफ्ता अपराधी (con man) है।
1999 में, बेलफ़ोर्ट को स्टॉक-मार्केट में हेरफेर और पेनी-स्टॉक घोटाले के लिए दोषी ठहराया गया था।
अकाउंटेंट माता पिता की संतान जॉर्डन बेलफ़ोर्ट, ग्रेजुएशन के बाद छोटे मोटे काम करने लगा, लेकिन वह व्यापार में असफल रहा।
व्यापार बंद होने के बाद एक मित्र की सहायता से उसे एल.एफ. रोथ्सचाइल्ड में एक ट्रेनी स्टॉकब्रोकर की नौकरी मिल गयी।
लेकिन यह फर्म भी 1987 में शेयर मार्किट क्रैश होने के कारण बंद हो गयी।
इसके बाद बेल्फ़ोर्ट ने स्ट्रैटन सिक्योरिटीज़ की फ्रैंचाइज़ी के रूप में स्ट्रैटन ओकमोंट की स्थापना की।
दरअसल स्ट्रैटन ओकमोंट में पेनी-स्टॉक घोटाला होता था।
वहां बेकार शेयर्स को ऊंचे दाम पर बेचकर मुनाफा कमाया जाता था।
एक समय में स्ट्रैटन ओकमोंट में 1,000 से अधिक स्टॉक ब्रोकर काम करते थे और 1 बिलियन डॉलर से अधिक के शेयर्स बेचते थे।
1999 में बेलफ़ोर्ट (biggest con men) को धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए दोषी पाया गया और उसे जेल जाना पड़ा।
उसके स्कैम से निवेशकों को लगभग 200 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
कोर्ट ने बेलफ़ोर्ट को 110.4 मिलियन डॉलर वापस करने का आदेश दिया, जिसे उसने स्टॉक खरीदारों से ठग लिया था।
जेल से बाहर आकर बेलफ़ोर्ट ने दो संस्मरण “The Wolf of Wall Street” और “Catching the Wolf of Wall Street” लिखे।
जो लगभग 40 देशों में प्रकाशित हुए और 18 भाषाओं में अनुवादित हुए।
2013 में उसकी किताबों पर मार्टिन स्कॉर्सेस के निर्देशन में एक फिल्म (con man movies) बनी, जिसमें लियोनार्डो डिकैप्रियो ने बेलफ़ोर्ट की भूमिका निभाई थी।
आज जॉर्डन बेलफ़ोर्ट एक मोटिवेशनल स्पीकर भी है।
कोनराड कुजाऊ (Konrad Kujau)

27 जून 1938 को नाज़ी जर्मनी में पैदा हुआ कोनराड कुजाऊ, एक जालसाज और कॉन मैन (con man) था।
वह नाजी आदर्शों और एडोल्फ हिटलर का प्रशंसक था।
उसने 1957 तक कई चोरियां कीं और कई बार जेल गया।
कुजाऊ ने अपना नाम पीटर फिशर बताना शुरू कर दिया था और एक जालसाज़ के रूप में अपना करियर भी शुरू किया।
उसके घर पर छापा मारने पर पुलिस को पता चला कि वह एक झूठी पहचान के तहत रह रहा था।
असली पहचान पता चलने पर उसे स्टटगार्ट की स्टैमहाइम जेल भेज दिया गया।
जेल से बाहर आने के बाद 1970 में, कुजाऊ पूर्वी जर्मनी में अपने परिवार के पास गया और वहां उसने देखा कि कई स्थानीय लोगों के पास नाज़ी सामान हैं।
कुजाऊ (con man) ने उनको ब्लैक मार्किट से खरीदकर, दस गुना अधिक दाम पर वेस्ट जर्मनी में बेचने का अवैध व्यापार शुरू कर दिया।
वह हिटलर और दूसरे नाज़ी जनरल के हस्तलिखित फर्जी दस्तावेज बनाकर बेचता था।
कुजाऊ ने अपनी पहली “हिटलर डायरी” को 1978 में बेचा था।
1980 में पत्रकार गर्ड हेइडमैन ने उससे डायरी के लिए संपर्क किया।
अगले दो वर्षों में कुजाऊ ने 61 और नकली संस्करण बनाए और 2.5 मिलियन ड्यूश मार्क में हेइडमैन को बेच दिया।
हेइडमैन ने अनजाने में यह हिटलर की नकली डायरियां स्टर्न पत्रिका को 9 मिलियन ड्यूश मार्क में बेच दीं।
1983 में हेइडमैन और कुजाऊ को गिरफ्तार कर लिया गया।
कुजाऊ और हेइडमैन दोनों को जालसाजी के लिए साढ़े चार साल की सजा सुनाई गई थी।
जेल से रिहा होने पर, कुजाऊ टीवी पर “जालसाजी विशेषज्ञ” के रूप में दिखाई देने लगा था।
वह 1996 में स्टटगार्ट के मेयर के चुनाव के लिए खड़ा हुआ, लेकिन उसे मात्र 901 वोट मिले।
सन 2000 में इस जालसाज की कैंसर से मृत्यु हो गई।
दुनिया का सबसे बड़ा कॉन मैन कौन है? (Who is the world’s greatest con man?)
यह सूची यहीं समाप्त नहीं होती है। कुछ ऐसे भी हैं जो कभी भी पकड़े नहीं गए। उन्होंने अपनी पहचान को इतनी अच्छी तरह छुपाया कि वे दुनिया के सामने कभी प्रकट नहीं हुए। वे शायद अब तक के सबसे सफल कॉन मैन (con man) थे।