नोबेल पुरस्कार को दुनिया के सबसे सम्मानित और प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक माना जाता है और विभिन्न श्रेणियों में इसे विजेताओं (Nobel Prize Winners) को दिया जाता है।
इस पुरस्कार का नाम स्वीडिश रसायनज्ञ अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल के नाम पर रखा गया था, जिसने डायनामाइट सहित कई विस्फोटकों का आविष्कार किया था, और उनके पास 355 विभिन्न पेटेंट थे।
1895 में अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा रसायन विज्ञान, भौतिकी, साहित्य, शरीर विज्ञान या चिकित्सा और शांति के क्षेत्र में कुछ असाधारण (मानव जाति के लाभ के लिए) करने वालों के लिए दान किया।
1968 से, सेंट्रल बैंक ऑफ़ स्वीडन भी अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में आर्थिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार दे रहा है।
नोबेल पुरस्कार विजेताओं (Nobel Prize Winners) की औसत आयु लगभग 59 वर्ष है।
हमारे मन में यह प्रश्न अक्सर उठता है कि ऐसे कौन से प्रतिभाशाली व्यक्ति रहे होंगे जिन्होंने यह सम्मान बहुत कम आयु में प्राप्त कर लिया होगा।
Who is the youngest Nobel Prize winner?
Who is the youngest person to win a Nobel Prize?
इस लेख में हम ऐसे ही दस प्रतिभाशाली नोबेल पुरस्कार विजेताओं (nobel Prize Winners) के बारे में चर्चा करेंगे, जिन्होंने बहुत ही कम आयु में इस सम्मान को प्राप्त किया।
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मलाला यूसूफ़जई (Malala Yousafzai)
नोबेल शांति पुरस्कार 2014
मलाला यूसुफजई को मानवाधिकारों की वकालत और विशेष रूप से लड़कियों के शिक्षा के अधिकार के उनके संघर्ष के लिए नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Prize Winners) से सम्मानित किया गया था।
जन्म: 12 जुलाई 1997, मिंगोरा, पाकिस्तान
नोबेल पुरस्कार मिलते समय आयु: 17 वर्ष
मलाला का जन्म पाकिस्तान की स्वात घाटी में हुआ था।
2008 में इस्लामिक तालिबान ने घाटी पर कब्ज़ा कर लड़कियों के स्कूलों को जलाना शुरू कर दिया गया।
मलाला एक डायरी लिखती थी जिसे 2009 में बीबीसी उर्दू ने प्रकाशित किया था।
वह उसमें तालिबान के आतंकवादी शासन के खिलाफ लिखती थी।
एक अमेरिकी डॉक्यूमेंट्री फिल्म ने मलाला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर कर दिया था।
2012 में तालिबान के एक बंदूकधारी ने स्कूल बस में मलाला के सिर में गोली मार दी थी।
वह बच गई, लेकिन उसे इंग्लैंड भागकर निर्वासन में रहना पड़ा क्योंकि तालिबान ने उसके खिलाफ फतवा जारी कर दिया था।
उसकी हत्या के प्रयास के कारण विभिन्न सरकारों, मानवाधिकार संगठनों और नारीवादी समूहों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तानी तालिबान की निंदा की।
अपने 16वें जन्मदिन पर उसने संयुक्त राष्ट्र में दुनिया भर में लड़कियों के लिए शिक्षा के समान अधिकार का आह्वान किया, और वह इसका प्रतीक बन गईं।
2014 में, मात्र 17 वर्ष की आयु में मलाला यूसुफजई को नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Prize winners) से सम्मानित किया गया था।
वह दुनिया की सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता (youngest Nobel Prize winner) है।
साथ ही वह नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली पाकिस्तानी पश्तून महिला है।
First female Nobel Prize winner in Pakistan.
मलाला यूसुफजई के काम और उसके संगठन के बारे में जानने के लिए – https://malala.org/malalas-story
विलियम लॉरेंस ब्रैग (William Lawrence Bragg)
भौतिकी में नोबेल पुरस्कार 1915
विलियम लॉरेंस ब्रैग को एक्स-रे के माध्यम से क्रिस्टल संरचना के विश्लेषण के लिए अपने पिता विलियम हेनरी ब्रैग के साथ संयुक्त रूप से भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize Winners) प्रदान किया गया था।
जन्म: 31 मार्च 1890, एडिलेड, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया
नोबेल पुरस्कार मिलते समय आयु: 25 वर्ष
एक जर्मन भौतिक विज्ञानी मैक्स वॉन लाउ ने पाया कि जब एक्स-रे क्रिस्टल से गुजरते हैं तब विवर्तन होता है।
लॉरेंस ब्रैग और उसके प्रोफेसर पिता ने इसकी और जांच करने का फैसला किया।
उनका एक्स-रे के माध्यम से क्रिस्टल संरचना का विश्लेषण, एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम था।
1912 से 1914 तक उसने अपने पिता के साथ इस पर काम किया और उसके परिणाम “एक्स-रे और क्रिस्टल स्ट्रक्चर” को प्रकाशित किया।
वह 1915 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाला सबसे कम उम्र का व्यक्ति (youngest Nobel prize laureate) बना और उसने अगले 99 वर्षों तक इस खिताब को बरकरार रखा।
विलियम लॉरेंस ब्रैग भौतिकी में अब तक का सबसे कम उम्र का नोबेल पुरस्कार विजेता (youngest Nobel prize winners in physics) है।
ब्रैग नाइटहुड समेत लगभग सभी प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित थे।
उनकी मृत्यु 81 वर्ष की आयु में 1 जुलाई 1971 को इंग्लैंड में हुई।
उनके सम्मान में भौतिकी के क्षेत्र में कई पुरस्कार भी दिए जाते हैं।
नादिया मुराद बसी ताहा (Nadia Murad Basee Taha)
नोबेल शांति पुरस्कार 2018
युद्ध और सशस्त्र संघर्ष के हथियार के रूप में यौन हिंसा के उपयोग को समाप्त करने के उनके प्रयासों के लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
जन्म: 10 मार्च 1993, कोचो, इराक
नोबेल पुरस्कार प्राप्त करते समय आयु: 25 वर्ष
नादिया मुराद का जन्म इराक के सिंजर जिले के कोचो गांव में हुआ था, जहां ज्यादातर यजीदी लोग रहते थे।
वह भी यज़ीदी अल्पसंख्यक किसान परिवार से है।
यज़ीदी धर्म इस्लाम, ईसाई और प्राचीन ईरानी धर्मों का मिश्रण है।
2014 में, इस्लामिक स्टेट (IS) के आतंकवादियों ने कोजो पर कब्ज़ा कर कई सौ पुरुषों और बुजुर्ग महिलाओं का नरसंहार किया।
IS का मानना था कि यज़ीदी शैतान के उपासक थे और उन्हें खत्म करना जरूरी था।
इक्कीस वर्षीय नादिया मुराद और अन्य युवतियों का अपहरण कर लिया गया और उन्हें सेक्स स्लेव के रूप में रखा गया।
नादिया के साथ बलात्कार किया गया और उसे जान से मारने की धमकी दी गई, जब तक वह इस्लाम में परिवर्तित नहीं हुई।
कुछ महीनों के बाद, नादिया मुराद भागने में सफल रही और 2015 में जर्मनी आ गई।
वहां उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपनी आपबीती बताने का फैसला किया।
मुराद को उम्मीद थी कि ऐसा करने से दुराचारियों को उनके अपराधों के लिए न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।
2016 में, उसे मानव तस्करी से बचे लोगों की गरिमा के लिए संयुक्त राष्ट्र की पहली सद्भावना राजदूत नियुक्त किया गया था।
2018 में, मुराद को उसके प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वह सबसे कम उम्र के नोबेल पुरस्कार विजेताओं (Youngest Nobel Prize Winners) में से एक है।
नादिया मुराद ने अपनी आत्मकथा “द लास्ट गर्ल” लिखी है।
मुराद “Nadia’s Initiative” नाम से संस्था भी चलाती हैं।https://www.nadiasinitiative.org/
वर्नर कार्ल हाइजेनबर्ग (Werner Karl Heisenberg)
भौतिकी में नोबेल पुरस्कार 1932
वर्नर हाइजेनबर्ग को क्वांटम मैकेनिक्स बनाने के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize Winners) प्रदान किया गया था।
जन्म: 5 दिसंबर 1901, वुर्जबर्ग, जर्मन साम्राज्य
नोबेल पुरस्कार मिलते समय आयु: 30 वर्ष
वर्नर हाइजेनबर्ग क्वांटम यांत्रिकी के प्रमुख अग्रदूतों में से एक थे।
उन्हें अनिश्चितता सिद्धांत के लिए जाना जाता है।
जिसमें कहा गया है कि किसी वस्तु का सटीक स्थान और वेग एक ही समय में, सिद्धांत में भी नहीं मापा जा सकता है।
हाइजेनबर्ग का नाम हमेशा उनके 1925 में प्रकाशित क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांत से जुड़ा रहेगा, जब वह केवल 23 वर्ष के थे।
इस सिद्धांत और इसके अनुप्रयोगों के परिणामस्वरूप विशेष रूप से हाइड्रोजन के एलोट्रोपिक रूपों की खोज हुई।
हाइजेनबर्ग को 1932 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वह यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले सबसे कम आयु के नोबेल विजेताओं (youngest Nobel prize winners) में से एक थे और एक कुशल पियानोवादक भी थे।
हाइजेनबर्ग को दुनिया भर में कई सम्मानों से सम्मानित किया गया था।
उनकी मृत्यु 1 फरवरी 1976 को 74 वर्ष की आयु में किडनी में कैंसर होने से हुई।
त्सुंग-दाओ ली (Tsung-Dao Lee)
भौतिकी में नोबेल पुरस्कार 1957
त्सुंग-दाओ ली को समता संरक्षण के सिद्धांत के उल्लंघन का पता लगाने लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize Winners) प्रदान किया गया था।
जन्म: 24 नवंबर, 1926, शंघाई, चीन गणराज्य
नोबेल पुरस्कार मिलते समय आयु: 30 वर्ष
त्सुंग-दाओ ली की शिक्षा चीन में हुई थी।
1946 में ली को अमेरिका में अध्ययन करने के लिए एक छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया था।
उनके पास स्नातक की डिग्री नहीं थी, उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय में भौतिकी में स्नातक स्कूल में प्रवेश किया। जहां एनरिको फर्मी ने उन्हें डॉक्टरेट छात्र के रूप में चुना।
उन्हें चीनी-अमेरिकी भौतिक विज्ञानी चिएन-शिउंग वू के प्रयोग पर शोध करने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
वू को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया गया था।
इसे नोबेल समिति के इतिहास में सबसे बड़े विवादों में से एक माना जाता है।
त्सुंग-दाओ ली को नोबेल पुरस्कार के अतिरिक्त अन्य सम्मान और पुरस्कार भी मिले हैं, जिनकी एक लम्बी सूची है।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ली विज्ञान के क्षेत्र में सबसे कम उम्र के नोबेल पुरस्कार विजेता(youngest Nobel Laureate) बने हुए हैं।
वे विलियम ब्रैग और वर्नर हाइजेनबर्ग के बाद इतिहास में विज्ञान में तीसरे सबसे कम उम्र के नोबेल पुरस्कार विजेता (Nobel Prize Winners) हैं।
पॉल एड्रियन मौरिस डिराक (Paul Adrien Maurice Dirac) (Nobel Prize Winners)
भौतिकी में नोबेल पुरस्कार 1933
पॉल एड्रियन मौरिस डिराक को परमाणु सिद्धांत के नए उत्पादक रूपों की खोज के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize Winners) प्रदान किया गया था।
जन्म: 8 अगस्त 1902, ब्रिस्टल, इंग्लैंड
नोबेल पुरस्कार मिलते समय आयु: 31 वर्ष
डिराक ने क्वांटम यांत्रिकी और क्वांटम इलेक्ट्रोडायनामिक्स दोनों के प्रारंभिक विकास में मौलिक योगदान दिया था।
उन्होंने क्वांटम यांत्रिकी के साथ सामान्य सापेक्षता के सामंजस्य में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इसके लिए उन्हें भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वे यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले सबसे कम आयु के नोबेल विजेताओं (youngest Nobel prize winners) में से एक थे।
डिराक अपने सहयोगियों के बीच अपने सटीक और शांत स्वभाव के लिए जाने जाते थे।
डिराक का कहना था, “मुझे स्कूल में सिखाया गया था कि किसी वाक्य का अंत जाने बिना उसे शुरू न करें।”
वह धर्म के राजनीतिक उद्देश्य की आलोचना करते थे।
उनका मानना था की ईश्वर का विचार मानव कल्पना की ही उपज है।
भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक होमी जे. भाभा भी उनके विद्यार्थी थे।
1984 में, डिराक की फ्लोरिडा में मृत्यु हो गई।
उनके सम्मान में कई पुरस्कार दिए जाते हैं।
1983 में खोजे गए एक छोटे तारे का नाम डिराक के नाम पर रखा गया था।
कार्ल डेविड एंडरसन (Carl David Anderson)
भौतिकी में नोबेल पुरस्कार 1936
कार्ल डेविड एंडरसन को पॉज़िट्रॉन (इलेक्ट्रॉन के समान द्रव्यमान और संख्यात्मक रूप से समान लेकिन सकारात्मक चार्ज वाला एक उप-परमाणु कण) की खोज के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize Winners) प्रदान किया गया था।
जन्म: 3 सितंबर, 1905, न्यूयॉर्क, अमेरिका
नोबेल पुरस्कार मिलते समय आयु: 31 वर्ष
उनके शुरुआती शोध एक्स-रे के क्षेत्र में थे।
1930 में, प्रोफेसर मिलिकन के साथ, उन्होंने कॉस्मिक-रे पर अध्ययन शुरू किया, जिसके कारण 1932 में पॉज़िट्रॉन की खोज हुई।
जिसके लिए उन्हें भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला।
वह यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले सबसे कम आयु के नोबेल विजेताओं (youngest Nobel prize winners) में से एक थे।
उन्होंने विकिरण और मौलिक कणों पर अपना काम जारी रखा।
एंडरसन के अधिकांश शोध और खोजों को द फिजिकल रिव्यू एंड साइंस में प्रकाशित किया गया है।
नोबेल पुरस्कार के अलावा भी उन्हें कई वैज्ञानिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
उनकी मृत्यु 11 जनवरी, 1991 को कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका में हुई।
रुडोल्फ लुडविग मॉस्बाउर (Rudolf Ludwig Mossbauer) (Nobel Prize Winners)
भौतिकी में नोबेल पुरस्कार 1961
रुडोल्फ मॉस्बाउर को मोसबॉयर इफ़ेक्ट की खोज के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize Winners) प्रदान किया गया था।
जन्म: 31 जनवरी 1929, म्यूनिख, जर्मनी
नोबेल पुरस्कार मिलते समय आयु: 32 वर्ष
मॉस्बाउर ने म्यूनिख के तकनीकी विश्वविद्यालय में भौतिकी का अध्ययन किया था।
इसके बाद वे आगे पढ़ने के लिए हीडलबर्ग में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल रिसर्च गए।
वहां उन्होंने पीएचडी करते हुए 191 इरिडियम में गामा किरणों के पुनरावर्ती परमाणु प्रतिदीप्ति की खोज की।
इसे मॉस्बाउर इफ़ेक्ट कहा जाने लगा।
उनकी इसी खोज के लिए उन्हें भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला।
वह यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले सबसे कम आयु के नोबेल विजेताओं (one of the youngest Nobel prize winners) में से एक थे।
मॉस्बाउर को एक उत्कृष्ट शिक्षक माना जाता था।
उन्होंने कई पाठ्यक्रमों पर अत्यधिक विशिष्ट व्याख्यान दिए थे।
14 सितंबर 2011 को 82 वर्ष की आयु में जर्मनी के ग्रुनवल्ड में मॉस्बाउर का निधन हो गया।
फ्रेडरिक ग्रांट बैंटिंग (Frederick Grant Banting)
चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार 1923
फ्रेडरिक ग्रांट बैंटिंग को इंसुलिन की खोज के लिए चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize Winners) प्रदान किया गया था।
जन्म: 14 नवंबर, 1891, एलीस्टन, ओंटारियो, कनाडा
नोबेल पुरस्कार मिलते समय आयु: 32 वर्ष
शरीर की शर्करा को सही ढंग से चयापचय करने में असमर्थता के कारण मधुमेह होता है।
डॉक्टरों ने अनुभव किया कि अग्न्याशय के कुछ हिस्सों में बनने वाले इंसुलिन की कमी के कारण मधुमेह होता है।
फ्रेडरिक बैंटिंग को संदेह था कि अग्न्याशय में बनने वाला एक अन्य पदार्थ ट्रिप्सिन इंसुलिन को तोड़ देता है।
1921 में फ्रेडरिक बैंटिंग और चार्ल्स बेस्ट ने कुत्तों पर प्रयोग किये।
परिणामस्वरूप इंसुलिन निकाला जा सका और मधुमेह के इलाज के लिए इस्तेमाल किया गया।
इस खोज के लिए कनाडा सरकार ने उन्हें आजीवन पेंशन प्रदान की।
फ्रेडरिक बैंटिंग आज तक, 32 साल की उम्र में मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले सबसे कम उम्र के नोबेल पुरस्कार विजेता (Youngest Nobel Prize Winners in Medicine) बने हुए हैं।
बैंटिंग की मृत्यु का कारण एक विमान हादसा बना।
21 फरवरी 1941 को, एक विमान दुर्घटना के बाद घावों के कारण मात्र 49 वर्ष की आयु में बैंटिंग की मृत्यु हो गई।
मैरेड कोरिगन मैगुइरे (Mairead Corrigan Maguire) (Nobel Prize Winners)
नोबेल शांति पुरस्कार 1976
मैरेड कोरिगन को उत्तरी आयरलैंड में हिंसक संघर्ष को समाप्त करने हेतु एक आंदोलन की स्थापना के साहसी प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
जन्म: 27 जनवरी 1944, बेलफास्ट, उत्तरी आयरलैंड
नोबेल पुरस्कार प्राप्त करते समय आयु: 32 वर्ष
मैरेड कोरिगन ने 16 वर्ष की आयु से ही उत्तरी आयरलैंड की एक स्थानीय फैक्ट्री में क्लर्क का काम करने लगी थीं।
21 साल की आयु में उन्होंने गिनीज ब्रूअरी के सचिव के रूप में काम करना शुरू किया, जहां वह दिसंबर 1976 तक कार्यरत रहीं।
अपनी बहन के तीन बच्चों के कार से कुचले जाने के बाद मैरेड कोरिगन उत्तरी आयरलैंड शांति आंदोलन में सक्रिय हो गयीं।
उनकी सक्रियता और प्रयासों ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई।
उनके प्रयासों के लिए उन्हें और उनकी साथी बेट्टी विलियम्स को 1976 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला।
वह सबसे कम उम्र के नोबेल पुरस्कार विजेताओं (Youngest Nobel Prize Winners) में से एक हैं।
मैरेड कोरिगन अभी भी संगठन से जुड़ी हुई हैं।
उन्होंने दुनिया भर के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को संबोधित करते हुए एक अधिक वैश्विक एजेंडा अपनाया हुआ है।